नईदुनिया प्रतिनिधि, श्योपुर। जिले के श्योपुर-कोटा इंटरस्टेट हाईवे पर बीती रात ट्रैफिक थाने में पदस्थ एक आरक्षक द्वारा अपने गुर्गों के साथ मिलकर गुजरते वाहनों से अवैध वसूली करने का मामला उजागर हुआ है। बताया गया है कि आरक्षक केशव रावत देर रात अपने छह-सात गुर्गों के साथ बोलेरो गाड़ी में घूमकर वाहन चालकों से पैसे वसूल रहा था। इस पूरे प्रकरण का भंडाफोड़ तब हुआ जब ग्रामीणों ने एक ट्रैक्टर चालक से की गई वसूली के बाद संदिग्ध बोलेरो का पीछा किया और शहर में आकर एक युवक को पकड़ लिया। गैंग के इस युवक ने खुद को भी पुलिसकर्मी बताया, लेकिन जब लोगों ने सख्ती से पूछताछ की तो मामला पूरी तरह खुल गया।
इसके बाद ग्रामीणों ने पकड़े गए युवक को पुलिस के हवाले कर दिया। इस मामले में ट्रैफिक प्रभारी संजय राजपूत ने आरक्षक केशव रावत की संलिप्तता को स्वीकारा है। उन्होंने कहा कि आरक्षक की करतूत के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को बता दिया गया है। यह गिरोह पिछले कई दिनों से श्योपुर-कोटा हाईवे पर रात के समय सक्रिय था। बोलेरो में सवार ये युवक खुद को पुलिसकर्मी बताकर वाहन चालकों को रोकते थे और कार्रवाई का डर दिखाकर उनसे रुपये वसूलते थे।
इनके निशाने पर मुख्य रूप से राजस्थान से मध्यप्रदेश की ओर आने-जाने वाले ट्रक, ट्रैक्टर-ट्राली और दूसरे वाहन रहते थे। ये लोग हाईवे पर वाहनों को रोककर फर्जी चालान या कागज जांच के नाम पर रुपये मांगते थे। शुक्रवार की देर रात यह गिरोह प्रेमसर के बीच के क्षेत्र में सक्रिय था। एक ट्रैक्टर-ट्राली चालक जब वहां से गुजर रहा था तो बोलेरो सवार युवकों ने उसे रोक लिया। उन्होंने खुद को ट्रैफिक पुलिसकर्मी बताते हुए कार्रवाई की धमकी दी और कहा कि ट्रैक्टर में ओवरलोडिंग और नंबर प्लेट संबंधी गड़बड़ी है, इसलिए वाहन जब्त किया जाएगा। डरे हुए चालक ने जब विनती की तो उन्होंने एक हजार रुपये लेकर उसे छोड़ दिया।
वसूली के बाद जब चालक कुछ आगे बढ़ा तो उसे शक हुआ कि ये लोग असली पुलिसकर्मी नहीं हैं। सभी युवकों की वर्दी भी सामान्य कपड़ों जैसी थी। उसने तुरंत अपने परिचितों और आसपास के ग्रामीणों को सूचना दी। ग्रामीणों ने इस पर तत्काल बोलेरो का पीछा किया। बोलेरो चालक ने भागने की कोशिश की, लेकिन श्योपुर शहर में घुसने पर भीड़ ने घेराबंदी कर एक युवक को पकड़ लिया। जब ग्रामीणों ने पकड़े गए युवक से पूछताछ की तो उसने पहले खुद को ट्रैफिक पुलिस का सदस्य बताया और कहा कि वह अपने अधिकारी के आदेश पर काम कर रहा है। लेकिन जब लोगों ने और सवाल किए तो वह घबरा गया और उसका झूठ सामने आ गया। इसके बाद ग्रामीणों ने आरोपित युवक को पुलिस के हवाले कर दिया। फिलहाल बोलेरो वाहन और अन्य युवक फरार बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।
इस पूरे प्रकरण में ट्रैफिक थाने में पदस्थ आरक्षक केशव रावत की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, आरक्षक केशव रावत कई बार रात में अपने निजी वाहन से हाईवे पर जाता था और इस दौरान कुछ युवकों को साथ रखता था। हालांकि, आधिकारिक रूप से उसे ऐसे किसी अभियान की अनुमति नहीं थी। मामले से पर्दा उठते ही विभाग के भीतर भी हड़कंप मच गया है। पुलिसकर्मियों द्वारा गुर्गों से मिलकर अवैध वसूली करवाने का मामला पहली बार सार्वजनिक हुआ है, जिससे पुलिस विभाग की छवि पर भी सवाल उठने लगे हैं।
इस घटना के सामने आने के बाद स्थानीय लोगों में रोष है। उनका कहना है कि अगर असामाजिक तत्व ही पुलिस वर्दी का डर दिखाकर वसूली करने लगें और असली पुलिसकर्मी ही ऐसे गिरोह चला रहे हों, तो कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पुलिसकर्मी को तत्काल बर्खास्त किया जाए।
जांच में कई और नाम सामने आ सकते हैं। बोलेरो गाड़ी का नंबर और अन्य आरोपितों की पहचान की जा रही है। साथ ही हाईवे पर लगे सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं ताकि पूरी वसूली गैंग की गतिविधियां सामने लाई जा सकें। पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि मामले में कोई भी दोषी होगा चाहे वह पुलिस विभाग से ही जुड़ा क्यों न हो, बख्शा नहीं जाएगा। जांच रिपोर्ट आने के बाद संबंधित पर निलंबन या बर्खास्तगी की कार्रवाई संभव है।
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और पकड़े गए युवक से पूछताछ की। अधिकारियों ने कहा कि पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एसपी सुधीर कुमार अग्रवाल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि कुछ युवक खुद को पुलिसकर्मी बताकर वाहनों से अवैध वसूली कर रहे थे। इसमें एक आरक्षक की संलिप्तता की भी पुष्टि हो रही है।