नईदुनिया प्रतिनिधि, श्योपुर। भारत में चीता प्रोजेक्ट की सफलता को लेकर विशेषज्ञों की शंका पर हाल ही में जन्मे तीन शावकों ने विराम लगा दिया है। कूनो में बसाए जाने के बाद अधिकतर समय चीतों को बाड़े में रखने को लेकर शंका जताई गई थी कि इससे इनकी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है, क्योंकि 20 प्रतिशत चीते ही बंद दायरे में मेटिंग (सहवास) कर गर्भधारण के लिए तैयार हो पाते हैं। अब तक कूनो में सभी सात शावक बाड़े में ही मेटिंग और प्रसव से जन्मे हैं।
कूनो डीएफओ का कहना है कि अब जहां तक शावक चीतों को जीवित रखने के प्रयास का सवाल है तो पिछले तीन शावक हीटवेव के कारण अचानक मौत का शिकार हुए थे, बची एक मादा चीता स्वस्थ है और 10 माह की हो चुकी है। अभी पिछले दिनों जन्मे तीन शावक फिलहाल तीन माह तक अपनी मां की देखरेख में ही रहेंगे। प्रबंधन केवल उन पर दूर से निगरानी ही कर सकेगा। यहां के प्राकृतिक वातावरण में सभी चीते पूरी तरह सामंजस्य बना चुके हैं। चिकित्सकों ने भी किसी चीते के असहज होने के लक्षण नहीं देखे हैं।
कूनो में नामीबिया से जो आठ चीते लाए गए थे, उनमें तीन मादा और पांच नर चीते थे, जिसमें दो मादा चीतों की मौत हो गई है और ज्वाला व आशा चीता ने शावकों को जन्म दे दिया है। अब एक अन्य मादा चीता नाभा से प्रबंधन को उम्मीद है। पिछले कुछ समय में इसके बाड़े में मेटिंग (सहवास) के लिए नर चीते गौरव व शौर्य को छोड़ा जा चुका है।
दक्षिण अफ्रीका से जो 12 चीते लाए गए थे, उनमें पांच मादा और सात नर चीते थे। इनमें तीन नर चीतों और एक मादा चीता की मौत हो चुकी है। कूनो प्रबंधन के अनुसार दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते कम उम्र के हैं, इसलिए इनका देरी से गर्भधारण करने का अनुमान है। भारत में इन्हें लाए हुए साढ़े दस माह ही हुए हैं, जिसमें से शुरुआत में इनका क्वारंटाइन समय भी अधिक रहा। जबकि, नामीबिया से लाए गए चीतों को लगभग 16 माह हो गए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार मादा चीता 20 से 24 माह में वयस्क हो जाती है, जबकि नर चीते एक वर्ष की आयु में ही परिपक्व होते हैं। हालांकि, नर चीते तीन वर्ष की आयु से पहले सहवास नहीं करते। अच्छी बात यह है कि चीते पूरे वर्ष प्रजनन कर सकते हैं। मादा चीता 90-95 दिनों के गर्भधारण के बाद बच्चा पैदा करती है। मादा चीता तीन साल की उम्र में अपना पहला प्रजनन करती है और अपनी मृत्यु तक हर दो साल में बच्चे पैदा कर सकती है। चीतों का औसत जीवन 12 वर्ष है। कूनो में इस समय कुल छह मादा चीता हैं, जिसमें मादा शावक भी शामिल है।
भारत में चीता प्रोजेक्ट अपने दूसरे चरण में पहुंच गया है, जिसमें पिछले डेढ़ साल में कूनो में लाए गए चीतों में 70 प्रतिशत तक जीवित व स्वस्थ हैं। शावकों के जन्म की प्रक्रिया भी सफलतापूर्वक संपन्न हो रही है। अभी तक जिन चीतों व शावकों की मौत हुई है, विशेषज्ञों ने भी उनके कारणों को अधिक चिंता की बात नहीं माना था, क्योंकि कूनो के पर्यावरणीय माहौल का उसमें कोई भी प्रतिकूल लक्षण नहीं था।
थिरूकुरल आर, डीएफओ, कूनो वन मंडल, श्योपुर।