
नईदुनिया प्रतिनिधि, श्योपुर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की जीरो टॉलरेंस नीति अब केवल सरकारी फाइलों की भाषा नहीं रही, बल्कि जमीन पर दिखने वाली ठोस कार्रवाई बन चुकी है। श्योपुर जिला इसका सबसे बड़ा उदाहरण बनकर उभरा है। जहां कलेक्टर अर्पित वर्मा के नेतृत्व में प्रशासन की टीमों ने अवैध कॉलोनियों के खिलाफ ऐसा अभियान चलाया है, जिसने वर्षों से जड़ें जमाए कॉलोनी माफिया की कमर तोड़ दी है।
शनिवार को श्योपुर, जैदा और जाटखेड़ा क्षेत्र में पांच अवैध कॉलोनियों पर एक साथ बुलडोजर कार्रवाई कर प्रशासन ने यह साफ कर दिया कि अब अवैध प्लॉटिंग, बिना अनुमति कॉलोनी विकास और शासकीय भूमि के व्यवसायिक उपयोग को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सड़कें, सीसी रोड और आंतरिक मार्ग ध्वस्त करते हुए प्रशासन ने अवैध कॉलोनियों की बुनियाद पर सीधा वार किया। कार्रवाई के दौरान एसडीएम श्योपुर गगन सिंह मीणा, तहसीलदार मनीषा मिश्रा सहित पूरा राजस्व अमला मौके पर मौजूद रहा।
पर्याप्त पुलिस बल की मौजूदगी में कार्रवाई शांतिपूर्ण लेकिन सख्त रही। तहसीलदार मनीषा मिश्रा ने बताया कि जैदा में सर्वे क्रमांक 75/8 (1.254 हेक्टेयर) पर अवैध कॉलोनी में बने मार्ग तोड़े गए। जैदा के सर्वे नंबर 269/3 एवं 273 मिन पर अवैध निर्माण हटाए गए। जाटखेड़ा में सर्वे क्रमांक 51/1 एवं 51/2/2 (4.221 हेक्टेयर) पर बनी सीसी सड़कें और रास्ते ध्वस्त किए गए।
श्योपुर कस्बे में पंजाब नेशनल बैंक के पीछे सर्वे नंबर 1549/2 एवं 1553/2 पर कार्रवाई हुई। अस्पताल के पीछे बायपास रोड स्थित सर्वे नंबर 1683/1 एवं 1683/2 पर बनी अवैध कॉलोनी की संरचनाएं तोड़ी गईं। कराहल में सर्वे नंबर 1383 की शासकीय भूमि से अस्थाई अतिक्रमण हटाया गया।
कलेक्टर अर्पित वर्मा ने जिले की 23 कॉलोनियों को संदेह के घेरे में लेते हुए एसडीएम श्योपुर को जांच कर प्रतिवेदन देने के निर्देश दिए हैं। जांच केवल कागजी नहीं होगी, बल्कि जमीन पर उतरकर हर बिंदु की पड़ताल की जाएगी। भूमि का मूल स्वरूप (शासकीय पट्टा, भूदान या प्रतिबंधित श्रेणी), बिना अनुमति कॉलोनी विकास, टीएनसीपी से ले-आउट स्वीकृति, नगरपालिका अधिनियम के तहत विकास अनुमति, ड्रेनेज या पहुंच मार्ग के नाम पर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण।
वृक्षों की अवैध कटाई और क्षतिपूर्ति। बिना अनुमति प्लॉट विक्रय और क्रेता-विक्रेता की सूची। कलेक्टर ने कड़े शब्दों में कहा कि दोषी पाए जाने पर कठोर वैधानिक कार्रवाई होगी।
अवैध कॉलोनियों पर स्थायी नियंत्रण और आम लोगों को सही जानकारी देने के लिए जिला कॉलोनी सेल का गठन किया गया है। डिप्टी कलेक्टर संजय जैन की अध्यक्षता में गठित यह सेल कॉलोनियों की वैधता-अवैधता की जांच करेगी। दस्तावेजी प्रतिवेदन तैयार करेगी और अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करेगी।
यह सेल आम जनता को भी बताएगी कि कौन सी कॉलोनी वैध है और कौन अवैध। ताकि लोग अपनी गाढ़ी कमाई गलत जगह न फंसाएं।
कलेक्टर ने साफ निर्देश दिए हैं कि कॉलोनी विकास अनुमति या नियमितीकरण प्रमाण पत्र के बिना किसी भी भूखंड की रजिस्ट्री और नामांतरण नहीं होगा। संबंधित सर्वे नंबरों के खसरा कॉलम में अवैध कॉलोनी की प्रविष्टि दर्ज कर क्रय-विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा। यह फैसला कॉलोनी माफिया के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है।
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29 जनवरी 2025 को श्योपुर के 25वें कलेक्टर के रूप में पदभार संभालने वाले 2015 बैच के आइएएस अधिकारी अर्पित वर्मा का पहला 11 महीनों का कार्यकाल पूरी तरह समझ, संवाद और संतुलन का रहा। 27 साल पुराने जिले में सैकड़ों कॉलोनियों बिना अनुमति काट दी गईं। न सड़क, न नाली, न ड्रेनेज, न पार्क। मानसून में जलभराव और बाढ़ जैसे हालात आम हो गए। कलेक्टर ने पूरी तैयारी के बाद कार्रवाई शुरू की।
एसडीएम से लेकर पटवारी तक पूरी मशीनरी एकजुट दिखी। यही वजह है कि श्योपुर की यह कार्रवाई अब जिला स्तर की खबर नहीं, बल्कि प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गई है।
श्योपुर में अब यह साफ है कि नियमों के बिना न कॉलोनी बनेगी, न प्लॉट बिकेगा। अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई जारी रहेगी। हमारा मकसद दमन नहीं बल्कि सुरक्षित और योजनाबद्ध विकास है।
-अर्पित वर्मा कलेक्टर, श्योपुर