श्योपुर(मनोज श्रीवास्तव)। जंगल में मिलने वाली बहुमूल्य जड़ी-बूटियां जिले में महिलाओं की किस्मत बदलेंगी। स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाएं जड़ी-बूटी एकत्रित कर उनकी ग्रेडिंग (साफ-सफाई और छिलाई) करकर उन्हें तैयार करेंगी। आजीविका मिशन जड़ी-बूटियों की वैल्यू एडीशन (रेट निर्धारित) करेगा। महिलाएं पैकिंग के बाद उन्हें बाजार में ऊंचे दामों में बेच सकेंगी। प्रशासन इसके लिए महिलाओं को बाजार भी मुहैया कराएगा।
यहां बता दें, कि श्योपुर जिले में दूर-दूर तक जंगल फैला हुआ है। जंगल में आदिवासी सामुदाय के लोग रहते हैं। यह लोग जंगल से जड़ी-बूटियां चुनकर उन्हें बाजार में बेचकर अपने परिवार का पेट पालते हैं। बावजूद इसके आदिवासियों की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है, क्योंकि मार्केट में व्यापारी सस्ते दामों में जड़ी-बूटी खरीदते हैं और खुद ऊंचे दामों में बेच देते हैं। इस योजना से करीब 25 हजार से अधिक आदिवासियों को फायदा होगा।
समूह से जोड़ेंगे आदिवासी परिवार :आजीविका मिशन के डीपीएम डॉ. एके मुदगल के मुताबिक अभी आदिवासी समुदाय के लोग जंगल से कीमती जड़ी-बूटियों को सस्ते दामों में बेच देते हैं। इसलिए आदिवासियों को स्वसहायता समूह से जोड़ रहे हैं, उन्हें बताएंगे कि जंगल से जो वह जड़ी-बूटी ला रहे हैं, उनकी बाजार में क्या कीमत है। आदिवसी लोग जंगल से जड़ी-बूटी चुनकर समूहों को देंगे। इससे उन्हें जड़ी-बूटियों के अच्छे दाम भी मिल जाएंगे। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आ सकेगा।
आदिवासी यह जड़ी-बूटी चुनकर लाते हैं : डॉ. मुदगल के मुताबिक आदिवासी सामुदाय के लोग जंगल से अरणी अग्निमंथ, मौलसिरी, खीरनी, फेट्रा, कुटज, जंगली ककड़ी, भृंगराज, जंगली काला तिल, बेलगुदा, शंखपुष्पी, हरश्रृंगार सियारी, चीडगोंद, शंखकेसरी, खैरगोंद, छाबडागोंद, शहद, आंवला, बेरजड, इन्नाीपंचांग, तेंदुपत्ता, महुआ, अर्जुनछाल गोरकू, अमरवेल जैसी जड़ी-बूटियां बड़ी मात्रा में मिलती है।
ग्रेडिंग कर पैकिंग कर बाजार में बेचेंगे : कलेक्टर राकेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक आत्मनिर्भर श्योपुर 2023 के तहत इसे शामिल किया है। इसमें आदिवासियों से जड़ी-बूटी लेकर समूहों के माध्यम से उनकी ग्रेडिंग कराएंगे। आजीविका मिशन उनकी वैल्यू एडीशन कर उनकी आकर्षण पैकिंग कराएंगे। ग्रेडिंग और पैकिंग के लिए मशीन में मंगवा रहे हैं। जड़ी-बूटियों को जिले से बाहर भेजने के साथ ही आजीविका मिशन के मार्ट पर भी रखवाएंगे। जिससे आमजन भी इन्हें आसानी से खरीद सकें।
यह जड़ी-बूटियां मिलती हैं जंगल में :
औषधीय नाम - वैज्ञानिक नाम - गुण
1. सफेद मूसली - क्लोरोफाइटम एसपी -रोग प्रतिरोधक, डायबिटीज व यौन रोग में उपयोगी
2.सतावर - अस्टैरेगस रेसिमोसस -रोग प्रतिरोधक
3.काली मूसली - कुरकुरिगो आर्चिडियस - रोग प्रतिरोधक, त्वचा विकार व पाचन संबंधी रोगों में
4.जीवंती - लेप्टाडेनिया रेटीकुलाटा - संधि वात, नेत्र रोग, रक्त शुद्धि में उपयोगी
5.पादुर पाटला - स्टेरियोपरमम सुवावेलेंस - त्रिदोष नाशक, पथरी व ज्वर नाशक
6.उतर - डायमिया एक्सटेना - विषनाशक, त्रिदोष नाशक
7.अधापुष्पी - ट्राइटोडेस्मा इन्डिकम -सूजन निवारक, उपदंश, नेत्र रोग में उपयोगी
8. हृदय बीज - कार्डियोगपरमम हेलीकाकाबम -रक्त संचार, ज्वाइंट पेन में उपयोगी
9. इंद्रायण बड़ी -सिस्टेरूलस कोलोसाइंटस - सुगर, पीलिया, हाथी पांव, विष व कफ नाशक
10. घाव पत्ता- - अर्गेएरिया नेरबासा - सूजन, टॉनिक, चर्मरोग में उपयोगी
11. लघु कंटकारी - सोलानम एसपी - गर्भधारण, कंठदोष, पथरी में उपयोगी
12. रामदातौन - स्माइलेक्स जेयानालिका - माहवारी में अधिक दर्द, शैयामूत्र, एसिडिटी में उपयोगी
13. माकड़ तेंदू - डाूयोजिप्सरस एसपी - सूजन उतारने में उपयोगी
14. जंगली कपास - अजंजा लेंपस - हड्डी जोड़ने, कर्णशूल में उपयोगी
15. पीला धतूरा - धतूरा स्ट्रामोनियम - पागलपन, नाड़ी शूल, चर्मरोग में उपयोगी
3 आदिवासी समुदाय के लोगों से जड़ी-बूटी लेंगे। समूह की महिलाएं इनकी ग्रेडिंग कर उनकी पैकिंग करेंगी। इसके बाद बाजार में बेचेंगे। जड़ी-बूटी बिक्री से जो आय होगी उससे समूह और आदिवासियों को दी जाएगी। जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार होने के साथ ही वह भी आत्म निर्भर होंगे।
राकेश कुमार श्रीवास्तव, कलेक्टर श्योपुर।