
श्योपुर। प्रशासन और पुलिस महकमे के अफसरों की ढ़िलाई की वजह से रेत माफिया दिन दहाड़े बेखौफ होकर नदियों से रेत का दोहन करने में जुटे हुए हैं। रेत के लगातार उत्खनन की वजह से जलीय जीवों के संरक्षण के लिए चि-ति पार्वती और चंबल नदियों के कई किनारों से रेत तक गायब हो गया है। जहां रेत मौजूद है वहां मौके पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। माफिया के लोग अब ट्रैक्टर व जेसीबी की चाटी चलवाकर नदियों के पानी के भीतर से रेत का उत्खनन करवाने में जुटे हुए हैं। जिसकी वजह से नदियों में न जलीय जीव सुरक्षित हैं और नहीं रेत में रखे जाने वाले उनके अंडे, फिर भी जिम्मेदार अधिकारी रेत माफिया पर मेहरबान बने हुए हैं।
गुरुवार की सुबह नईदुनिया संवाददाता ने पार्वती नदी के जलालपुरा घाट पर पहुंचकर हालात देखे तो वहां रेत माफिया के ट्रैक्टर-ट्रालियों की लंबी-लंबी लाइनें नदी के किनारे पर लगी हुई थीं। माफिया के लोग ट्रैक्टरों में लगी चाटी के द्वारा नदी के पानी के भीतर से रेत को समेंटकर घाट तक लाने में जुटे थे, वह बार-बार ट्रैक्टर को नदी में लेकर जा रहे थे और फिर चाटी के द्वारा रेत को वाहर खींचकर ला रहे थे। जिसकी वजह से नदी का पानी बेहद गंदा हो गया था। माफिया बेखौफ होकर नदी से रेत का दोहन करने में जुटे हुए थे। उन्हें न तो रेत में मौजूद जलीय जीवों के अंडों की कोई फिक्र थी और नहीं नदी में मौजूद घड़ियाल, मगरमच्छ और कछुआ सहित अन्य जलीय जीवों की। यह हालात जलालपुरा घाट पर किसी एक जगह नहीं थे बल्कि, जहां तक नजर पहुंच पा रही थी, वहां तक यही हालात नजर आ रहे थे। ऐसे हालात जलालपुरा घाट पर हर रोज देखने को मिलते हैं। फिर भी जिम्मेदार अधिकारी माफिया के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं। इससे नदियों के साथ-साथ जलीय जीवों का अस्तित्व खतरे में हैं।
तिरपाल से ढंककर जलालपुरा घाट से शहर तक सप्लाई हो रही रेत
पार्वती नदी के जलालपुरा घाट से रोजाना ढ़ाई सौ से ज्यादा ट्राली रेत निकाला जा रहा है। जिसे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के द्वारा श्योपुर शहर से लेकर जैदा, सलापुरा, कलारना, प्रेमसर, ढ़ोंटी, ननावद, हिरणीखेडा सहित आसपास के इलाकों में खुलेआम सप्लाई की जा रही है। पिछले कुछ दिनों से वह तिरपाल से रेत की ट्रॉली को ढंककर क्षेत्र में रेत सप्लाई करने का काम कर रहे हैं। जिसकी जानकारी आला अधिकारियों को भी है। वहीं गांव के बीचों-बीच से फर्राटे भरकर निकलने बाले रेत के वाहनों की वजह से पूरे गांव के ग्रामीण भी खासे परेशान हैं और वह कई दफा इस मामले की शिकायत भी कर चुके हैं। गुरुवार को सुबह 10 बजे रेत माफिया के वाहन श्योपुर-खातौली हाइवे पर फर्राटे भरते देखे गए। कई वाहन शहर से सटे हुए जैदा गांव तक तो कई खेडली रोड़ की तरफ जाते नजर आए, यह इलाका देहात थाना पुलिस की सीमा में है। फिर भी जिम्मेदारों के द्वारा कार्रवाई की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए।
रेत माफिया बोलेः घडियाल से लेकर खनिज विभाग व पुलिस तक देते हैं बंदी
पार्वती नदी के जलालपुरा घाट पर रेत का दोहन कर रहे रेत माफिया की तस्वीरें जैसे ही नईदुनिया संवाददाता ने अपने कैमरे में उतारना शुरू कीं तो माफिया के लोग ट्रैक्टरों पर बैठे-बैठे कहने लगे कि, फोटो खींचने से क्या हो जाएगा। हम तो घडियाल विभाग से लेकर खनिज और पुलिस विभाग को महीना (एंट्री) देते हैं। कोई टीम यहां आएगी। उसकी खबर हमें वह पहले ही दे देते हैं।
पार्वती व चंबल नदी के इन घाटों पर भी यही हालात
जिले की सीमा से होकर बह रहीं पार्वती नदी के बडोदिया घाट, जलालपुरा, आमल्दा, सुंडी, दलारना, दांतरदा, कीरपुरा व ऊंचाखेडा, चंबल नदी के बरौठा, नदीगांव, दिमरछा, काउपुरा, जमूर्दी, अर्रोदरी सहित नदियों के कई घाटों से रोजाना खुलेआम रेत माफिया के वाहन रेत निकालते देखे जा रहे हैं।
अभी तो हम विधानसभा की कार्रवाई में व्यस्त हैं। फिर भी हम जहां-जहां रेत उत्खनन की जानकारी मिलती जाएगी। वहां-वहां संयुक्त रूप से टीमों के साथ पहुंचकर कार्रवाईयां करेंगे।
आरपी कमलेश
सहायक खनिज अधिकारी।
नदी से रेत रोकना घडियाल विभाग की जिम्मेदारी है, फिर भी वहां से रेत निकलकर आती है तो हम कार्रवाई करते हैं, एंट्री देने की बात गलत है, ऐसे तो कोई भी कह देता है, आरोपों का क्या है।
गौरव शर्मा
थाना प्रभारी देहात।