
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। सिंहस्थ के लिए लाई गई लैंड पूलिंग योजना के खिलाफ एक तरफ किसान आंदोलन की तैयारियों में जुटे हैं तो दूसरी ओर सोमवार को उज्जैन उत्तर से भाजपा विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा के एक पत्र ने सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाओं को खड़ा कर दिया। विधायक जैन ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को यह पत्र लिखा है। कहा है कि किसान हित में लैंड पूलिंग योजना निरस्त होनी चाहिए। अगर किसान 26 दिसंबर से आंदोलन शुरू करते हैं तो मैं भी इसमें सम्मिलित होने के लिए विवश रहूंगा। इससे यह बात स्पष्ट हो गई है कि लैंड पूलिंग योजना को लेकर पार्टी में आपसी मतभेद हैं।
सीएम को लिखे पत्र में विधायक जैन ने कहा कि लैंड पूलिंग योजना का मैंने विधानसभा और विधानसभा के बाहर समर्थन किया है। किंतु 17 नवंबर 2025 को भोपाल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और किसान संघ के प्रतिनिधियों के साथ आपकी (सीएम) उपस्थिति में बैठक संपन्न हुई थी। तब योजना वापस लेने का निर्णय हुआ था। इसके बाद किसान संघ ने उत्सव रैली निकाली थी, जिसमें मैं भी शामिल हुआ था। इस बीच प्रशासन, किसान संघ और प्रेस के माध्यम से यह ध्यान में आया है कि लैंड पूलिंग योजना यथावत है और किसान एक बार फिर 26 दिसंबर से आंदोलन करने जा रहे हैं। इस आंदोलन में मैं भी शामिल होने के लिए विवश रहूंगा। अत: आपसे आग्रह है कि किसानों के हित में यथा उचित निर्णय करें।
उज्जैन में 26 दिसंबर से ‘डेरा डालो–घेरा डालो आंदोलन’ शुरू करने का एलान किए किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने कहा कि आंदोलन में 18 जिलों की 115 तहसीलों के किसान शामिल होंगे। किसान अपने साथ आवश्यक सामग्री लेकर प्रशासनिक कार्यालयों का घेराव करेंगे और चरणबद्ध आंदोलन चलाया जाएगा। हमारा सिर्फ इतना कहना है कि सिंहस्थ मेला क्षेत्र सहित कई इलाकों में किसानों की उपजाऊ जमीन को लैंड पूलिंग के माध्यम से लेने की तैयारी है, जो किसान हितों के खिलाफ है। सिंहस्थ सदियों से अस्थायी स्वरूप में आयोजित होता रहा है, जहां स्थायी कंक्रीट निर्माण न तो परंपरा के अनुरूप है और न ही आवश्यक। किसानों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण से आजीविका, कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ेगा।
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लैंड पूलिंग योजना को लेकर भाजपा के नेताओं के बीच मतभेद है। मुख्यमंत्री की मंशा थी कि योजना के तहत विकास काम हो। मगर किसानों का रुख देखकर पार्टी के ही नेता इसका विरोध करने लगे। आलोट विधायक और उज्जैन के पूर्व सांसद चिंतामन मालवीय ने विधानसभा में इसका पुरजोर विरोध किया था। इसके बाद कई नेता दबीं जुबान से भी इसका विरोध कर रहे हैं। अब विधायक अनिल जैन के पत्र ने नई सियासी चर्चा खड़ी कर दी है।