नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में रसूखदार बलपूर्वक गर्भगृह में प्रवेश कर रहे हैं और आम भक्तों को मंदिर परिसर में भी प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। आधा सवान बीत जाने के बाद भी भक्त मंदिर परिसर स्थित चौरासी महादेव मंदिरों के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं। मंदिर प्रशासन की बद इंतजामी के कारण देशभर से आए कई श्रद्धालु चौरासी महादेव की अधूरी यात्रा छोड़कर अपने घरों को लौट गए हैं।
धर्मधानी उज्जैन में महाकाल के अलावा चौरासी महादेव के भी मंदिर है। मान्यता है श्रावण मास में चौरासी महादेव के दर्शन करने से मनुष्य चौरासी लाख योनी के चक्र से मुक्त हो जाता है, साथ ही उन्हें सुख समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। इसी मान्यता के चलते श्रावण मास में प्रतिवर्ष हजारों भक्त चौरासी महादेव दर्शन यात्रा करने उज्जैन आते हैं।
महाकाल वन में विराजित चौरासी महादेव में से चार महादेव श्री चंद्रादित्येश्वर (सभा मंडप), श्री अनादिकल्पेश्वर (जूना महाकाल परिसर), श्री त्रिविष्टपेश्वर (पालकी द्वार के पास) तथा श्री स्वप्नेश्वर महादेव (भद्रकाली माता मंदिर के पास) परिसर में विराजित हैं। इस बार भी 11 जुलाई को श्रावण कृष्ण प्रतिपदा से चौरासी महादेव दर्शन यात्रा शुरू हो गई है।
स्थानीय के साथ देशभर से आने वाले भक्त 80 महादेव मंदिर में तो सुविधा पूर्व दर्शन पूजन कर रहे हैं, लेकिन महाकाल मंदिर परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित रहने के कारण चार महादेव मंदिर तक पहुंच भी नहीं पा रहे हैं। हालांकि कुछ यात्रा संघ के साथ आए श्रद्धालुओं को परिसर में प्रवेश कराया जा रहा है, परेशान तो सिर्फ आम जनता हो रही है।
महाकाल मंदिर प्रशासन चौरासी महादेव की महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा के प्रति उदासीनता बरत रहा है। अफसर इस और ध्यान नहीं दे रहे हैं। पूछने पर रटारटाया जवाब मिलता है, परिसर में निर्माण चल रहा है जब पूरा होगा तब प्रवेश प्रारंभ किया जाएगा। जबकि मंदिर से जुड़े जानकारों का कहना है कि अधिकारी व्यवस्था नहीं संभाल पा रहे हैं। भीड़ को देखते हुए परिसर में प्रवेश नहीं खोला जा रहा है। इसके लिए भक्तों की धार्मिक भावना व तीर्थ यात्रा के महत्व को भी दरकिनार किया जा रहा है।
श्रावण मास की तैयारी से पहले कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने विभिन्न विभाग के अधिकारियों के साथ महाकाल मंदिर का निरीक्षण किया था। उस समय परिसर में चल रहे फ्लोर निर्माण को लेकर उन्होंने विशेष ध्यान दिया था। साथ ही निर्माण एजेंसी को सख्त निर्देश दिए थे कि किसी भी सूरत में यह काम 10 जुलाई से पहले पूरा हो जाना चाहिए, लेकिन अफसर कलेक्टर के आदेश को घोल कर पी गए हैं। निर्धारित तारीख से एक पखवाड़े बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया है।
महाकाल में भक्तों की धार्मिक भावना के साथ हो रहे खिलवाड़ व कलेक्टर के निर्देश के बाद भी समय पर समय पर काम पूरा नहीं कर पाने पर मंदिर समिति को निर्माण एजेंसी व ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए। हालांकि मंदिर से जुड़े जानकार बताते हैं कि मामले में मंदिर प्रशासन ही दोषी है, अफसरों ने समय पर ध्यान नहीं दिया और श्रावण से ऐन पहले फ्लोर का काम शुरू करने की अनुमति दी। ऐसे में मंदिर प्रशासन अब बचने की कोशिश में है।
मंदिर परिसर में अभी निर्माण कार्य चल रहा है, ऐसे में आम श्रद्धालुओं को परिसर में प्रवेश नहीं दिया जा सकता है। कलेक्टर ने स्मार्ट सिटी व उज्जैन विकास प्राधिकरण दोनों निर्माण एजेंसी को निर्देशित किया था। लेकिन क्या बात हुई इस संबंध में मैं कुछ नहीं बता सकता हूं। - एसएन सोनी, उप प्रशासक महाकालेश्वर मंदिर