नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन: महालय श्राद्धपक्ष के पहले दिन पूर्णिमा पर रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने पितरों का तर्पण करने तीर्थ पर पहुंचे, जो लोग तीर्थ पर नहीं पहुंच पाए उन्होंने विद्वान पुरोहितों के मार्गदर्शन में घर पर ही ऑनलाइन पितृकर्म संपन्न किए। सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या तक अगले 15 दिन देश विदेश में रहने वाले ऐसे सैकड़ो श्रद्धालु अपने पूर्वजों का आनलाइन श्राद्ध करेंगे।
श्रीक्षेत्र पंडा समिति के अध्यक्ष और तीर्थपुरोहित पं. राजेश त्रिवेदी आमवाला पंडा ने बताया महालय श्राद्धपक्ष के पहले दिन श्रद्धालु अपने पितरों का स्वागत करते हुए तर्पण पिंडदान, धूप ध्यान, दान, ब्राह्मण भोजन आदि धर्म कार्य संपादित करते हैं। इसके बाद श्राद्ध पक्ष के सोलह दिनों में अपने पितरों की तिथि अनुसार सेवा पूजा की जाती है।
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर पितृकर्म के माध्यम से पितरों को विदाई दी जाती है। यह सभी विधियां तीर्थ पर पुरोहितों के मार्ग दर्शन में संपन्न की जाती हैं। लेकिन खराब मौसम व विपरीत परिस्थितियों में जो श्रद्धालु तीर्थ पर नहीं आ पाते हैं, वे तीर्थ पुरोहित के मार्ग दर्शन में घर बैठे ऑनलाइन श्राद्ध करते हैं।
रविवार को बुलंदशहर निवासी सुरेंद्र शर्मा व गाजियाबाद निवासी अमर उपाध्याय को ऑनलाइन तर्पण कराया। खराब मौसम के कारण वें उज्जैन आ नहीं पा रहे थे और उनकी इच्छा मेरे द्वारा उज्जैन के सिद्धवट घाट पर अपने पूर्वजों का तर्पण कराने की थी। भक्त भावना को देखते हुए एक दिन पहले उन्हें आवश्यक सामग्री की सूची भेज दी गई थी। सिद्धवट तीर्थ पर भी पितृकर्म का समुचित इंतजाम था। निर्धारित समय पर उन्हें एंड्राइड मोबाइल के माध्यम से आनलाइन श्राद्ध कराया।
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पं. त्रिवेदी ने बताया कि यह संभव भी है क्योंकि मंत्र वास्तव में शब्द व वाक्यों का एक समूह है, जो ध्वनि अथवा कंपन से ऊर्जा को जागृत करता है। यही शक्ति आध्यात्मिक शक्तियों को प्राप्त करने तथा चेतना की उच्च अवस्था तक पहुंचने में मदद करती है। नेट भी एक सामान्य यांत्रिक तरंग है, जो कंपन के कारण फैलती है और एक माध्यम से ऊर्जा ले जाती है।