Mahakal Temple Ujjain: नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। भगवान महाकाल के भक्तों को विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश सरकार से कई आस हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर समिति ने भगवान महाकाल की भस्म आरती के दर्शन को प्रदर्शन की विषय वस्तु बना दिया है। दर्शन के लिए शुल्क, श्रेणी अनुसार बैठक व्यवस्था तथा रसूखदारों को दी जा रही वीआइपी व्यवस्था से आम भक्त स्वयं को ठगा महसूस करते हैं।
उनका कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस अथवा भाजपा किसी की भी सरकार बनते ही भस्म आरती दर्शन पूर्णत: निशुल्क किया जाना चाहिए। वीआइपी व रसूखदारों के लिए लागू सीटों का कोटा सिस्टम भी समाप्त होना चाहिए। भक्तों का कहना है कि सरकार किसी भी पार्टी की बने मगर मंदिर की व्यवस्था आम भक्तों को केंद्र में रखकर बनाई जानी चाहिए।
उज्जैन में वर्तमान में मंदिर की व्यवस्था अर्थ आधारित होकर के लाभ हानि के चश्मे से देखी जा रही है। यहां तक की दर्शन व्यवस्था को भी सशुल्क कर दिया गया है। भस्म आरती के लिए 200, भगवान को जल चढ़ाने के लिए 750, शीघ्र दर्शन के लिए 250 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। समिति अगर विशेष सुविधा प्रदान करने तथा वस्तु उपलब्ध कराने के एवज में शुल्क वसूले तो समझ आता है, लेकिन दर्शन पर शुल्क अब मंजूर नहीं है।
अगर भक्त को भगवान के जलाभिषेक व दर्शन के लिए शुल्क चुकाना पड़े, तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण बात कुछ हो ही नहीं सकती है। भगवान महाकाल की भस्म आरती दर्शन के लिए लगाया गया 200 रुपये का शुल्क समाप्त होना चाहिए। भगवान के जलाभिषेक का अधिकार प्रत्येक भक्त को है, गर्भगृह में प्रवेश का अवसर सभी को समान रूप से निशुल्क मिलना चाहिए। मध्य प्रदेश में नई सरकार से भक्तों की यही मांग है। - गौवर्धन नीमा, समाजसेवी
भस्म आरती दर्शन के लिए कोटा सिस्टम पूरी तरह समाप्त होना चाहिए। मंदिर समिति प्रतिदिन करीब 1700 भक्तों को दर्शन की अनुमति देती है। इसमें से करीब एक हजार सीट कोटा सिस्टम से भरी जाती है। सामान्य व्यक्तियों को अनुमति ही प्राप्त नहीं हो पाती है। प्रदेश में नई सरकार बनने पर भस्म आरती की सभी 1700 सीट आनलाइन माध्यम से निशुल्क आवंटित की जाए। - संतोष सोलंकी, होटल व्यवसायी
भस्म आरती व्यवस्था में कई खामियां हैं। आनलाइन चार सौ तथा मंदिर काउंटर से निश्चित समय पर तीन सौ लोगों को अनुमति जारी करने के बाद शेष सीट कोटे के तहत आवंटित होती है। इससे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को अनुमति नहीं मिल पाती है और उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता है। नई सरकार को इस व्यवस्था में परिवर्तन कर जनहितैषी बनाना चाहिए। - राजेंद्र चेलावत, समाजसेवी