MP News: नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। मालवा के किसान ने नवाचार कर काली मिट्टी में राजमा की खेती करने की शुरुआत कर दी है। जिले में पहली बार राजमा की बोवनी की गई है। इसका उत्पादन 7 से 8 क्विंटल बीघा बताया जा रहा है। बाजार भाव 10 से 12 हजार रुपये क्विंटल हैं।
राजमा चीन व ब्राजील की मुख्य फसल मानी जाती है। भारत में भी आपूर्ति इन्हीं देशों से होती है। जिले के किसानों के लिए खेती का एक और रास्ता खुलने जा रहा है। उज्जैन में बाढ़कुमेद के किसान रामेश्वर पाटीदार ने दलहन प्रजाति की फसल राजमा की बोवनी कर नया प्रयोग किया है।
जो सफल होता दिखाई दे रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो राजमा का उत्पादन 7 से 8 क्विंटल बीघा का हो सकता है। भाव भी काफी अच्छे 10 से 12 हजार रुपये क्विंटल चल रहे हैं। इसकी खपत दक्षिण भारत, दिल्ली, आंध्रप्रदेश में अधिक बताई जाती है। भारत में आपूर्ति के मान से राजमा का उत्पादन काफी कम होता है। इसकी आपूर्ति चीन, ब्राजील से होती है।
किसान रामेश्वर पाटीदार ने नईदुनिया को बताया कि रबी के सीजन में गेहूं, चना, आलू के अलावा मालवा में कोई अन्य फसल का विकल्प नहीं था। ऐसे में कुछ नया करने के लिए यूट्यूब से राजमा की खेती की जानकारी ली। इसी के सहारे देहरादून से एक व्यापारी से तीन क्विंटल राजमा का बीज लेकर आया।
चूंकि राजमा का अभी तक कृषि विभाग के पास कोई प्रमाणित बीज नहीं है। इस बीज को अक्टूबर माह में 20 बीघा खेत में बोया गया। करीब 3 से 4 बार सिंचाई की गई। तीन माह में फसल लहलहाने लगी है। यह तीन माह की फसल होती है।
जनवरी के पहले सप्ताह काट कर तैयार हो जाएगी। पाटीदार के अनुसार राजमा की खेती फायदे का सौदा बन सकती है। इसमें लागत खर्च कम है। आलू की खेती का विकल्प भी हो सकती है।
वर्तमान में राजमा के लिए कोई थोक बाजार नहीं है। कृषि मंडियों में भी न के बराबर बिक्री हेतु आता है। ऐसे में किसान को खुद बाजार देखना पड़ेगा। हालांकि यह दलहन की प्रजाति है। किराना मार्केट में मांग रहती है। इसका मुख्य उपयोग दाल सब्जी के रूप में होता है। दक्षिण भारत में राजमा को चावल, मछली के साथ खाया जाता है।