Rajya Sabha Election 2024: नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा निर्वाचन के लिए मध्य प्रदेश से राष्ट्रीय संत बालयोगी उमेशनाथजी महाराज को उम्मीदवार घोषित किया है। बालयोगी उमेशनाथजी को जिस समय यह सूचना मिली वें आश्रम में गुरु गोरक्षनाथजी के धूने पर पूजा अर्चना कर रहे थे। संतश्री को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाए जाने से वाल्मीकि समाज सहित अन्य पिछड़े समाज में हर्ष व्याप्त है। जानकारी मिलते ही आश्रम में भक्तों का तांता लग गया।
सामाजिक समरसता, मानवता व राष्ट्रवाद का अलख जगाने वाले राष्ट्रीय संत बालयोगी उमेशनाथजी महाराज का जन्म सन् 1964 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ। जन्म के बाद ही उनके माता पिता ने उन्हें महायोगी श्री गुरुगोरक्षनाथ के धूने को समर्पित कर दिया था। जन्म से ही वे नाथसंप्रदाय के संत के रूम में जीवन जी रहे हैं।
उमेशनाथजी महाराज संन्यासी जीवन से ऊपर उठकर समाज के लिए जीना पसंद करते हैं। समाज में धर्म, अध्यात्म, संस्कार, समरसता, सद्भाव, मर्यादा, एकात्मकता, भाई चारे का स्पंदन हो इसके लिए वें निरंतर कार्य कर रहे हैं। इसके लिए निरंतर यात्राओं का क्रम जारी रहता है। "जाति पंत संप्रदाय तोड़ो राष्ट्र को जोड़ो" उमेशनाथजी महाराज के इस विचार ने देश में समरसता, मानवता व राष्ट्रवाद का ऐसा अलख जगाया कि देशभर के लोग इस आंदोलन में सजय ही शामिल होते गए।
सन् 1992 को देश के आठ प्रांतों की सरकारों ने उन्हें राजकीय अतिथि का दर्जा दिया। इसमें मध्य प्रदेश व राजस्थान अग्रणीय राज्य रहे। राष्ट्रप्रेम, समराता व समाज से कुरीतियों को खत्म करने के लिए किए जा रहे उमेशनाथजी महाराज के प्रयासों का सम्मान करते हुए उन्हें अवध विश्वविद्यालय ने समरसता अवार्ड प्रदान किया है। इसके साथ ही उन्हें गौरव इंडिया, कर्मवीर, छत्तीसगढ़ व हरियाणा आदि सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
महाराजश्री ने उज्जैन के जूना सोमवारिया क्षेत्र में श्री सोहनदासजी के समाधि स्थल पर श्री क्षेत्र वाल्मीकि धाम की स्थापना की है। यह स्थान राजा हरीशचंद्र का तपस्या स्थल भी रहा है। मान्यता है इसी स्थान पर बैठकर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य की रचना की थी। महाराजश्री ने बताया कि यह भी चमत्कार ही रहा कि इस स्थान पर उनके आने के ठीक 41 दिन बाद भूमि से एक दिव्य शिवलिंग प्रकट हुआ, जो आज भी यहा श्री कमलेश्वर वाल्मीकेश्वर महादेव के नाम से प्रतिष्ठित है।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा राष्ट्रीय संत बालयोगी उमेशनाथजी महाराज को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने के बड़े राजनीतिक मायने हैं। वाल्मीकि समाज के साथ रेगर, धनगर, केवट, नाई सहित अन्य पिछड़ी जातियों में महाराजश्री का खास प्रभाव है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश तथा दक्षिण राज्यों में महाराजश्री के लाखों अनुयायी हैं।
महाराजश्री की भाजपा संगठन में गहरी पैठ है। बीते दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डा.मोहन यादव उनसे मिलने श्री क्षेत्र वाल्मीकि धाम पहुंचे थे। सिंहस्थ 2016 में शिप्रा के श्री वाल्मीकि घाट पर समरसता स्नान का आयोजन हुआ था। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित पार्टी संगठन के कई बड़े नेता शामिल हुए थे।