
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का नाम लेते ही मजबूत, टिकाऊ और सुरक्षित सड़कों का दावा गूंजता है, लेकिन जिले की बड़नगर तहसील में यही ‘प्रधानमंत्री सड़क’ खस्ता हालात में पाई गई है। बड़नगर मुख्य मार्ग से पीपलू और दोतरू गांव को जोड़ने वाली करीब पांच किलोमीटर लंबी सड़क की मरम्मत के कुछ ही समय बाद ग्रामीणों ने उसकी असलियत हाथों से उखाड़कर दिखा दी। मरम्मत के नाम पर की गई यह लीपापोती का यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि सड़क की डामर परत इतनी कमजोर है कि ग्रामीण उसे बिना औजार, सिर्फ हाथों से उखाड़ रहे हैं। मामला उजागर होते ही सांसद अनिल फिरोजिया ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि ऐसी ‘लीपापोती’ अब नहीं चलेगी।
सांसद ने स्पष्ट किया कि सरकार से सड़क निर्माण की राशि एक बार मिलती है और अगली मरम्मत का प्रावधान वर्षों बाद होता है। घटिया काम का मतलब है ग्रामीणों को लंबे समय तक बदहाल सड़क झेलने को मजबूर करना। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गुणवत्ताहीन सड़कों को किसी भी सूरत में स्वीकार न किया जाए। मामले में अफसरों ने जांच की बात कही है।
दोतरू गांव के पूर्व सरपंच दशरथ जायसवाल ने खुलकर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत कराए गए मरम्मत कार्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। उनका कहना है कि सड़क पहले से जर्जर थी, उस पर केवल दिखावटी परत चढ़ाकर भुगतान निकाल लिया गया।
हाथों से सड़क उखड़ने का वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासनिक अमला हरकत में आया है। जब वीडियो मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के अफसरों तक पहुंचा तो वे सीधे मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों से लंबी चर्चा की।
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हाथ से ‘प्रधानमंत्री सड़क’ उखड़ जाने के मामले का कथित वीडियो देख जिला पंचायत सीईओ श्रेयांस कुमट ने जांच बैठाई है। जांच समिति में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग की कार्यपालन यंत्री अंजली धाकड़, एमपीआरडीसी के प्रबंधक नितिन करोड़े, लोक निर्माण विभाग के अनुविभागीय अधिकारी प्रफुल्ल जैन को शामिल किया है। समिति से तीन दिन में निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट चाही है।
मरम्मता का काम गुणवत्ता से हुआ है। इसमें ठेकेदार या विभाग की कोई गलती नहीं। ग्रामीण नई सड़क बनवाना चाहते हैं, जो अभी संभव नहीं। अभी निर्माण कार्य प्रगति पर है। पूरा नहीं हुआ है। काम पूरा होने के बाद अगर कमी भी रहती है तो उसको सुधारा जाएगा। मौके पर पहुंच ग्रामीणों से बात की है, उन्होंने संतोष व्यक्त किया है।
- ऋषि बदेरिया, महाप्रबंधक, मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण