
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। प्रशासनिक सख्ती और वेतन कटौती की चेतावनी का असर अब दिखने लगा है। शिक्षा विभाग में ई-अटेंडेंस को लेकर लंबे समय से जारी लापरवाही पर कार्रवाई की चेतावनी के बाद शिक्षकों की डिजिटल उपस्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। जहां पहले केवल 65 प्रतिशत शिक्षक ही ई-अटेंडेंस दर्ज कर रहे थे, वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 82 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
गौरतलब है कि 1 जुलाई 2025 से शिक्षा विभाग में मोबाइल एप के माध्यम से ई-अटेंडेंस अनिवार्य की गई है, लेकिन इसके बावजूद बीते पांच महीनों में उज्जैन जिले के लगभग 35 प्रतिशत शिक्षकों ने नियमित रूप से ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं की। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने स्पष्ट निर्देश दिए कि आगे से ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं करने वाले शिक्षकों का वेतन काटा जाएगा। इसके बाद विभागीय अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया कि वे शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करें, अन्यथा वेतन भुगतान नहीं किया जाएगा।
इसी तरह लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में भी डिजिटल उपस्थिति प्रणाली को पूरी तरह अनिवार्य कर दिया गया है। जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अशोक कुमार पटेल ने बताया कि जिले में पदस्थ सभी अधिकारी और कर्मचारी अब केवल ‘सार्थक’ एप्लिकेशन के माध्यम से ही अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे। किसी अन्य माध्यम से दर्ज की गई उपस्थिति मान्य नहीं होगी और ऐसे कर्मचारियों को अनुपस्थित माना जाएगा। डॉ. पटेल ने यह भी स्पष्ट किया कि जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराना, प्रॉक्सी अटेंडेंस देना या घर से अपूर्ण अथवा अस्पष्ट फोटो अपलोड करना सेवा अनुशासन का गंभीर उल्लंघन माना जाएगा।
प्रशासन का मानना है कि इस सख्त कदम से विभागों में अनुशासन स्थापित होगा और उपस्थिति प्रणाली अधिक पारदर्शी, सटीक व पूरी तरह डिजिटल बनेगी। शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि चेतावनी के बाद कर्मचारियों और शिक्षकों ने इसे गंभीरता से लिया है। अब लक्ष्य शत-प्रतिशत ई-अटेंडेंस सुनिश्चित करने का है, ताकि सरकारी सेवाओं की जवाबदेही और कार्य संस्कृति में सुधार हो सके।
जिला शिक्षा विभाग के अंतर्गत कुल 1677 स्कूल इंचार्ज और 6529 लोक सेवक दर्ज हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 1200 शिक्षकों ने अब तक एक बार भी ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं की। वर्तमान में केवल 1361 स्कूल इंचार्ज ही ई-अटेंडेंस लगा रहे हैं, जो कुल का 78.83 प्रतिशत है। वहीं, अतिथि शिक्षकों की स्थिति बेहतर है - लगभग सभी 1874 अतिथि शिक्षक नियमित रूप से ई-अटेंडेंस दर्ज कर रहे हैं।
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