
संजय कुमार शर्मा। उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के ताला री-वाइल्ड सेंटर में इन दिनों जंगल में पाए गए दो अनाथ बाघों को री-वाइल्ड करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। इस रोमांचकारी प्रक्रिया पर विशेषज्ञ सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से नजर भी रख रहे हैं। सीसीटीवी कैमरे से बाघ शावकों पर नजर इसलिए रखी जा रही है ताकि उनके स्वभाव में आने वाले सूक्ष्म से सूक्ष्म परिवर्तन का भी अध्ययन हो सके। विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा यह अध्ययन ही दोनों अनाथ शावकों के भविष्य का निर्धारण करेगा। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फीडल्ड डायरेक्टर डा अनुपमन सहाय, डिप्टी फील्ड डायरेक्टर पीके वर्मा के अलावा भी कई अन्य लोग इस अध्ययन में जुटे हुए हैं।
बांधवगढ़ टाइगर रिवर्ज के फील्ड डायरेक्टर अनुपम सहाय ने बताया कि जंगल में पाए गए दोनों शावकों को उनकी सुरक्षा के लिए रेस्क्यू करना जरूरी था। रेस्क्यू के बाद उन्हें पालने की बड़ी समस्या सामने खड़ी हो गई। उन्हें री-वाइल्ड बनाने के लिए मानव हस्तक्षेप से दूर रखना भी आवश्यक था। यही कारण है कि उन्हें री-वाइल्ड सेंटर में रखा गया है जहां पर वे बिना किसी खतरे का सामना किए स्वच्छंद होकर विचरण कर सकें। यहां भी एक बड़ी समस्या है और वो यह कि दोनों शावक री-वाइल्ड सेंटर में बड़े खतरों का सामना करना आखिर सीखेंगे कैसे?
री-वाइल्ड सेंटर के अंदर दोनों शावकों को मानव हस्तक्षेप के बिना भोजन दिया जा रहा है। दोनों शावकों को री-वाइल्ड बनाने के दौरान ही उन्हें जीवित शिकार भी दिया जाएगा ताकि वे खुद शिकार करना सीख सकें और जंगल में सर्वाइवल के योग्य हो सकें। विशेषज्ञों का कहना है कि इन शावकों के साथ एक खास बात यह है कि इन्होंने लगभग आठ से नौ महीने अपनी मां के साथ बिताए हैं जिससे जंगल में शिकार करने की कुछ बातें इन्होंने जरूर सीखी होंगी।
आम तौर पर बाड़े में पलने वाले शावकों का जीवन चिडि़या घर में ही बीतता है लेकिन ताला के री-वाइल्ड सेंटर में शावकों को वाइल्ड बनाने की प्रक्रिया में पूरा प्रयास किया जा रहा है कि उन्हें खुले जंगल में छोड़ने के लायक बनाया जा सके। यही कारण है कि उन्हें री-वाइल्ड बनाने की प्रक्रिया का अध्ययन भी किया जा रहा है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन का लक्ष्य है कि दोनों शावकों व्यस्क होते ही खुले जंगल में छोड़ा जा सके।
बांधवगढ़ टाइगर रिजहर्व पनपथा रेंज के सलखनिया बीट से दोनों शावकों को अनाथ मिलने पर रेस्क्यू किया गया था। इसके दो दिन पहले ही यहां से एक बाघ का ककांल भी मिला था जिसकी पहचान अभी तक नहीं हो सकी है। यहीं पर कांटीवाह बाघिन अपने तीन शावकों के साथ देखी जाती थी। अब कांटीवाह बाघिन और उसके शावक नजर नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि रेस्क्यू किए गए दोनों शावक कांटीवाह बाघिन के ही होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।