
नवदुनिया प्रतिनिधि,विदिशा: शमशाबाद तहसील के ग्राम बरुआखार की 20 वर्षीय हिंदू युवती आशा प्रजापति ने मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचकर कलेक्टर अंशुल गुप्ता को धर्म परिवर्तन की अनुमति संबंधी आवेदन सौंपा। आवेदन में स्वेच्छा से मुस्लिम धर्म अपनाने की बात लिखी है। कलेक्टर ने आवेदन को गंभीरता से लेते हुए युवती को एसपी कार्यालय भेज दिया, जिसके बाद पुलिस और महिला बाल विकास विभाग संयुक्त रूप से उसके मामले की काउंसलिंग करा रहे हैं।
कक्षा 10वीं तक शिक्षित युवती ने आवेदन में उल्लेख किया कि वह स्वेच्छा से मुस्लिम धर्म अपनाना चाहती है। उसने बताया कि बचपन में मां का निधन हो गया था और करीब एक वर्ष पूर्व पिता की भी मृत्यु हो गई। उसकी एक नाबालिग बहन नाना के पास रहती है, जबकि वह स्वयं किसी रिश्तेदार से संपर्क में नहीं है।
युवती का कहना है कि बचपन से ही उसकी रुचि मुस्लिम धर्म की ओर रही है और वह तीन वर्षों से कलमा व नमाज पढ़ रही है। आवेदन में उसने लिखा है कि उसका फैसला किसी दबाव या प्रलोभन में नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और अध्ययन के आधार पर लिया गया है।
एसपी रोहित काशवानी ने कहा कि पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए जांच करेगी कि युवती किसी के दवाब में तो यह कदम नहीं उठा रही। वहीं,महिला बाल विकास विभाग द्वारा वन स्टॉप सेंटर में करीब दो घंटे उसकी काउंसलिंग की गई। विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी विनीता कांसवा ने बताया कि बुधवार को टीम उसके गांव जाकर परिस्थितियों की जानकारी जुटाएगी, ग्रामीणों और स्वजनों से संवाद करेगी और तत्पश्चात आगे की काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता चक्रवर्ती जैन ने बताया कि मध्यप्रदेश में 2021 का धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू है। जिसका उद्देश्य धोखे से या जबरन धर्म परिवर्तन को रोकना है। इसकी धारा इसकी धारा-10, जिसमें धर्म परिवर्तन से पहले 60 दिन पूर्व कलेक्टर को सूचना देना अनिवार्य था, इसे हाई कोर्ट ने 2022 में असंवैधानिक माना और उस पर कार्रवाई रोक दी। राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है लेकिन अभी वहां इस मामले की सुनवाई लंबित है।
जैन के मुताबिक इस अधिनियम में प्रशासन को यह जांच करना होता है कि धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से हुआ है या किसी दबाव, प्रलोभन या झांसे में तो नहीं किया जा रहा। इस अधिनियम का उल्लंघन किए जाने पर तीन से दस साल तक की सजा और जुर्माने का प्रविधान भी हैं।