
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। नेशनल टेस्टिंग ऐजेंसी ने शनिवार को नीट यूजी का परीक्षा परिणाम जारी कर दिया है। इस बार यह परिणाम चौंकाने वाला रहा है। इस बार किसी भी विद्यार्थियों को 720 से में 720 नंबर नहीं मिले हैं। अधिकतम अंक 686 रहे। माना जा रहा है कि नीट का पेपर अपेक्षाकृत कठिन रहने का सीधा असर स्कोरिंग पर पड़ा है।
सामान्य और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए क्वालिफाइंग कटआफ 144 अंक रहा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 18 अंक कम है। यही नहीं, इस बार नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने पहली बार हर स्कोर के साथ यह भी बताया है कि उस स्कोर पर कितने कैंडिडेट्स मौजूद हैं। इस नई पारदर्शिता से छात्रों को अपने स्कोर के अनुसार संभावनाओं का बेहतर आकलन करने में मदद मिलेगी।

नीट के परिणाम के बाद अब छात्रों की निगाहें काउंसलिंग प्रक्रिया पर टिकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार काउंसलिंग में रैंक और स्कोर दोनों ही स्तरों पर नीचे जा सकते हैं। इस बार सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीट 525 अंक पर भी मिल सकती है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा लगभग 650 के आसपास था।
कुछ राज्यों में तो यह गिरावट 125 अंकों तक भी हो सकती है। इसका लाभ उन विद्यार्थियों को मिल सकता है कि जिनके मार्क्स कम आए हैं। विशेषज्ञों की माने तो इस स्कोर के आधार पर इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में भी प्रवेश मिल सकता है।
मार्क्स कम तो न करें चिंता
यदि आपके नीट में कम स्कोर हैं और एमबीबीएस या बीडीएस में सीट नहीं मिल पाई है, तो मेडिकल और हेल्थकेयर सेक्टर में कई अन्य विकल्प भी हैं, जिनमें बेहतरीन करियर बनाया जा सकता है। टेक्नोलाजी के साथ हेल्थकेयर सेक्टर में नए कोर्स और रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े हैं। इंटरेस्ट और स्किल्स के अनुसार वैकल्पिक कोर्सेज का चयन किया जा सकता है। ये कोर्स कम समय में, कम खर्च में पूरे हो सकते हैं। इसकी डिमांड न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी तेज़ी से बढ़ रही है।

ये हैं मप्र के प्रमुख मेडिकल कॉलेज
इस बार नीट का प्रश्नपत्र कठिन रहने के कारण कटआफ में कमी आई है। ऐसे में उन विद्यार्थियों को भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल सकता है, जिनके नीट में कम स्कोर रहा है। वहीं, ऐसे विद्यार्थी जिन्हें एमबीबीएस में एडमिशन नहीं मिलता है या अंक कम होने के कारण संभावना नहीं दिख रही है, वे मेडिकल से जुड़े अन्य कोर्सेस में प्रवेश लेकर अपना करियर बना सकते हैं। - अवनीश पांडेय, विशेषज्ञ