एजेंसी, नई दिल्ली विवाह। एक ऐसा पड़ाव है जो अधिकांश लोगों के जीवन में आता है। एक इंसान की अवस्था को बदलने वाली इस संस्कृति का बहुत बड़ा महत्व है। कहा गया है कि शादी जन्मों-जन्मों का बंधन होता है, साथ ही यह दो लोगों को एक रिश्ते में बांधता है। इसके लिए लोग कई तरह की तैयारियां भी करते है। शादी की शुरुआत के लेकर इसके अंत तक कई रस्में होती हैं। मगर कुछ रस्में ऐसी भी है जिसका नाम तो हम जानते है मगर उसका असली मतलब शायद ही। ऐसी ही एक रस्म है सुहागरात... आइए इस आर्टिकल में हम आपको बताते है सुहागरात का असली मतलब और इसकी जरुरत-
'सुहागरात' यह शब्द तो हम ने सुना है और कई लोग इसका मतलब भी जानते होंगे, मगर इसका असली मतलब शायद ही आपको पता होगा। यह खास इसलिए मानी जाती है, क्योंकि यह दूल्हा और दुल्हन की पहली रात होती है। दोनों पार्टनर्स को एक-दूसरे को करीब से समझने के मौके के साथ ही पारिवारिक जीवन की शुरुआत करने का अवसर का भी मिलता है। मगर क्या आपने सोचा है कि आखिर इसे सुहागरात ही क्यों कहा जाता है?
सुहागरात शब्द का अर्थ संस्कृत के शब्द से निकलता है। यह सौभाग्य शब्द से जुड़ा हुआ है जिसे सुहाग की उत्पत्ति मानी जाती है। विवाहित महिला के लिए सुहाग और सुहागन दोनों शब्द का इस्तेमाल होता है। महिला शादी के बाद सुहागन कहलाती है और सुहाग की निशानियां जैसे मंगलसूत्र, चूड़ियां, सिंदूर, पायल, बिछिया पति के सौभाग्य को बढ़ाने के लिए पहनती है। ऐसे में सुहागन बनी महिला की शादी के बाद पहली रात को सुहागरात कहा जाता है।
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