नईदुनिया प्रतनिधि, भोपाल: 18 से 45 वर्ष की आयु के युवाओं में मुंह और गले का कैंसर अब केवल तंबाकू के सेवन से ही नहीं, बल्कि मुंह की सफाई की अनदेखी, मानसिक तनाव और दांतों की चोट जैसे कारणों से भी हो रहा है। एम्स भोपाल द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण केस-कंट्रोल अध्ययन में यह बात सामने आई है।
इस शोध के दौरान खुलासा हुआ कि जो युवाओं ने मुंह की सफाई में लगातार लापरवाही बरतते थे, उनमें कैंसर होने की आशंका 17 गुना अधिक थी। शोध के अनुसार, तनाव में रहने वाले युवाओं में यह खतरा 5.6 गुना और दांत की चोट या घाव वाले मामलों में 13.4 गुना ज्यादा था। वहीं 11-20 वर्षों तक तंबाकू या गुटखा रखने वालों में यह खतरा 5.3 गुना बढ़ गया।
एम्स भोपाल राज्य का पहला ऐसा चिकित्सा संस्थान बन गया है जहां पहली बार तंबाकू निवारण क्लीनिक की शुरुआत की गई है । इसमें छह विभागों के विशेषज्ञ-फेफड़ा रोग, मनोरोग, सामुदायिक चिकित्सा, ईएनटी, दंत चिकित्सा और कैंसर चिकित्साक सेवाएं देते हैं। प्रत्येक बुधवार दोपहर तीन से चार बजे तक चलने वाले इस क्लीनिक में रोगियों को परामर्श और नशा छोड़ने में सहायक दवाइयां प्रदान की जाएंगी। एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि युवाओं में तंबाकू छोड़ने की जागरूकता फैलाने के लिए कालेजों और स्कूलों में भी अभियान चलाया जाएगा।
अध्ययन में कैंसर होने की स्थिति का खुलासा
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बचाव के उपाय
तंबाकू से जुड़ी भयावह सच्चाई
एम्स भोपाल ने अमेरिका की केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी और एक स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी कंपनी के साथ मिलकर मुख कैंसर की त्वरित जांच के लिए एक नया परीक्षण विकसित करना शुरू किया है। यह गैर-इनवेसिव (बिना चीरा या सुई) तकनीक होगी, जिसे किसी भी स्थान पर आसानी से किया जा सकेगा। यह पहल खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए लाभदायक होगी, जहां तंबाकू और सुपारी खाने की आदत आम है। एम्स का लक्ष्य है कि इस तकनीक से समय पर कैंसर की पहचान हो और लोगों की जान बचाई जा सके।