Diaphrag, Diaphragmatic Breathing । कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हमने देखा कि ज्यादातर मरीजों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा है और कमजोर फेफड़े वाले मरीजों का ऑक्सीजन की कमी की वजह से अपनी जान तक गंवानी पड़ी। कोरोना के ज्यादातर मरीजों को निमोनिया जैसी बीमारी का सामना करना पड़ा है, जिसकी वजह से फेफड़ों पर असर पड़ रहा है। कोरोना के मरीजों का श्वसन तंत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। कोविड बीमारी से जुड़े निमोनिया में डायाफ्राम की मांसपेशी की क्षमता पर ज्यादा असर पड़ता है। डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग फेफड़ों की क्षमता में सुधार करने के साथ-साथ ही बलगम के रूप में श्वसनतंत्र में पैदा होने वाले स्राव को दूर करने में अहम किरदार निभाती है। आइए जानते हैं क्या होती है डायाफ्राम एक्सरसाइज और क्या है इसके फायदे -
डायाफ्राम क्या है?
डायाफ्रॉम का आकार एक गुंबद जैसा होता है। यह सांस लेने वाली मांसपेशी है, जिसका संबंध शरीर में हार्ट फंक्शन, पाचन और ब्लड सर्कुलेशन पर पड़ता है। यह भावनात्मक स्थिति को कंट्रोल करके इंसान की नींद में सुधार भी करता है और व्यक्ति का तनाव भी कम करता है। कोरोना महामारी से जुड़े निमोनिया में डायाफ्राम की मांसपेशी की क्षमता पर असर पड़ता है।
डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग के लाभ
डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग फेफड़ों को मजबूत बनाती है और इस ब्रीदिंग का खास मकसद ना सिर्फ आराम करते हुए बल्कि किसी भी काम के दौरान गहरी सांस लेने की क्षमता में सुधार करना है । डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग को मरीज की शारीरिक क्षमता के मुताबिक 3 तरीकों जैसे लेटकर, बैठकर या फिर खड़े होकर किया जा सकता है।
डायाफ्रैगमैटिक ब्रीदिंग के प्रमुख चरण
- पीठ के बल लेटकर घुटनों को थोड़ा मोड़ लें, इससे आपके पैरों के तलवे बेड पर आराम करने की स्थिति में आ जाएंगे।
- हाथों को अपने पेट पर रखें।
- अब पेट को फुलाने के लिए नाक से जोर से सांस लें और सांस लेने के बाद उंगलियों को भी फैलाने की कोशिश करें।
- अब अपने होंठों को सिकोड़कर धीरे-धीरे मुंह से सांस बाहर निकालें। इस दौरान पेट वापस अंदर की ओर जाना चाहिए।
- इस क्रिया को 10-15 बार दोहराएं। जब आप इस एक्सरसाइज को अच्छे से करने लगें तो इस क्रिया को ज्यादा बार दोहराएं।