आंखों की पलकों के झपकने को कभी मौसम के बदलाव से जोड़ा जाता है तो कभी इसे अंधविश्वास से भी जोड़ दिया जाता है। आमतौर पर आंखों के झपकने की प्रक्रिया हर व्यक्ति के साथ होती है और कुछ केसेस में यह बार-बार या लंबे समय तक जारी रहती है।
सामान्यतौर पर एक वयस्क व्यक्ति की पलकें एक मिनट में लगभग 15-18 बार तक झपकती हैं। पलकों का झपकना प्रोटेक्शन का एक तरीका है। वहीं कई बार इसके साथ दूसरी समस्याएं जैसे दर्द, चुभन या जलन अथवा असहजता आदि भी हो सकती हैं। ऐसे में आवश्यक है कि इसके लिए किसी विशेषज्ञ की मदद ली जाए।
कारण भी हैं कई
आंखों की पलकों के झपकने के पीछे थकान, ठंडा-गरम मौसम, अल्कोहल या अन्य नशे की वस्तुओं का सेवन, नींद की कमी, तनाव, कैफीन का अधिक मात्रा में सेवन, कंजंक्टिवाइटिस, मायोपिया, तेज लाइट, आंखों के भीतर सूजन तथा देर तक टीवी या कंप्यूटर मॉनिटर की स्क्रीन पर देखना, आदि।
बढ़ती तकलीफ
जब पलकों का झपकना किसी भी तरह के उपचार से ठीक नहीं हो तो इसका मतलब है कि मुश्किल सतर्क रहने की ओर इशारा कर रही है।
ऐसी मुश्किलों में शामिल हैं
जल्द उपचार हो सकता है प्रभावी
आंखों के झपकने की समस्या यदि सामान्य तरीकों से ठीक न हो तो तुरंत ध्यान देना जरूरी है, अन्यथा कई मामलों में आंखों की रोशनी के खत्म होने का भी खतरा हो सकता है।
साधारण मामलों में यह तकलीफ आंखों को आराम देने, तकलीफ पैदा करने वाले कारक जैसे तेज रोशनी, नशे का सेवन, तनाव आदि से दूर रहने जैसे उपायों से दुरुस्त हो जाती है वहीं गंभीर मामलों में दवाओं के अलावा कुछ विशेष प्रकार के इंजेक्शन्स या एक्यूप्रेशर जैसी कुछ तकनीकों के प्रयोग की भी सलाह दी जाती है।
कुछ केसेस में सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है। खास बात यह कि समय पर उपचार मिलने पर तकलीफ ठीक करने में मदद मिल सकती है।