Health Tips: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। भारतीय भोजन पद्धति और भारतीय भोजन दोनों को ही अपनाकर हम सेहतमंद रह सकते हैं। हर प्रांत में बनने वाला पारंपरिक भोजन वहां की जलवायु, लोगों की जीवनशैली, कार्यप्रणाली और उनकी कद-काठी के अनुरूप है। भोजन में भिन्नता हो सकती है, लेकिन पारंपरिक भारतीय भोजन पोषण से भरपूर होता है।
आहार व पोषण विशेषज्ञ डा. शिवानी लोढ़ा के अनुसार, खमीर उठाकर जो भोजन बनाय जाता है, वह पाचनतंत्र के लिए भी बेहतर होता है। इन भोज्य पदार्थों को पचाना आसान हो जाता है। खमीर उठकार बनाई गई भोज्य सामग्री सेहत के लिए बहुत लाभदायक होती है। बात अगर इडली, डोसा, उत्तपम, खमण-ढोकला आदि खमीर उठाकर बनाए गए आहार की करें तो उसके पोषक तत्व और भी बढ़ जाते हैं। इसकी वजह उसका समीकरण और खमीर उठाने से उसमें उत्पन्न हुए जीवाणु हैं, जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन बी, बी-12 और बी-6 जरूरी है, जो कि हमें खमीर उठाकर बनाए गए भोजन से मिलता है। इस भोजन में जो जीवाणु होते हैं, वे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाते हैं। इससे पेट भी बेहतर रहता है। गर्भावस्था में यह भोजन इसलिए भी लाभदायक है, क्योंकि इससे पाचनतंत्र अच्छा रहता है। यही नहीं, इससे मिलने वाले पोषक तत्व मां और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए बेहतर होते हैं।
इसके अलावा इसमें विटामिन सी भी होता है। विटामिन सी से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। यह त्वचा और बालों के लिए भी अच्छा होता है। खमीर उठाकर बनाया गया भोजन अन्य भोजन की तुलना में हल्का और सुपाच्चय होता है, क्योंकि उसे या तो भाप के द्वारा पकाया जाता है या फिर उसमें तेल की मात्रा बहुत कम होती है। इसका लाभ यह होता है कि इससे भरपूर ऊर्जा भी मिलती है और भारी नहीं होने से आलस भी हावी नहीं होता। यही नहीं, यह जल्दी पच भी जाता है और इसे पचाने के लिए अतिरिक्त श्रम नहीं करना पड़ता।