Health tips: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। काफी पुराने समय से हमारे यहां तांबे के बर्तन में पानी रखने और पीने की परंपरा चली आ रही ऐसा इसलिए हैं क्योंकि तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी शरीर के लिए फायदेमंद होता है। इस प्रक्रिया में कम से कम आठ घंटे तक कॉपर के बर्तन में पानी रखने से न सिर्फ पानी की शुद्धता बढ़ती है साथ ही पानी में कॉपर भी मिल जाता है, जिससे शरीर को इसकी प्राप्ति आसानी से हो सकती है। लेकिन गर्मियों के मौसम मैं इस पानी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए ऐसा न करने पर इसके कई दुष्परिणाम हो सकते हैं।
सुबह खाली पेट सबसे पहले तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से तीनों दोषों - कफ, वात और पित्त को दूर करने और शरीर की प्राकृतिक ऊर्जा को संतुलित करने में मदद मिलती है। यह धातु विभिन्न अंगों और मेटाबॉलिज्म की प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने में भी मदद करता है। थायरॉयड ग्रंथि के कामकाज में सुधार करने, एनीमिया से बचाने, हड्डियों को मजबूत करने, वजन घटाने और लाल रक्त कोशिकाओं के लिए यह काफी जरूरी है।
अधिक सेवन से हो सकता है नुकसान
शरीर अन्य पोषक तत्वों की तरह कॉपर को सेंथेसाइज नहीं कर पाता है, इसे आहार स्रोतों से प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। ऐसे में तांबे के बर्तन का पानी एक बढ़िया विकल्प है। पर एक दिन में 3 गिलास तक ही इसके सेवन को सीमित करें। अधिक मात्रा में इसका पानी पीने से कॉपर पॉइजनिंग हो सकती है। इसके कारण मेटाबॉलिज्म से संबंधित समस्या और पाचन विकारों की दिक्कत बढ़ने का खतरा रहता है, ऐसे में इसका कम मात्रा में ही सेवन किया जाना चाहिए।
गर्मियों के दौरान इसका कम मात्रा में ही सेवन करें क्योंकि तांबे की प्रकृति गर्म होती है। अधिक मात्रा के कारण एसिडिटी, सूजन, माइग्रेन की दिक्कत हो सकती है। इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव पाचन स्वास्थ्य पर होता है इसलिए शरीर के लिए आवश्यक मात्रा में ही कॉपर का सेवन किया जाना चाहिए। सुबह 1-2 गिलास तांबे के बर्तन में रखा पानी पानी पीना पर्याप्त है।