बिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। अर्धमत्स्येंद्र योग मुद्रा रीढ़ की हड्डी की स्ट्रेंथ को बढ़ाती है। इस पोस्चर को डेली रूटीन में शामिल करते हैं, तो स्ट्रेस, टाइट गर्दन और पीठ के ऊपरी हिस्से के तनाव को खत्म करते हैं। इससे शरीर में फ्लेक्सिबिलटी आती है। दूसरे तमाम हठ योग की तरह इस मुद्रा को भी ट्रेनर के मार्गदर्शन में करें।

योग विशेषज्ञों का कहना है कि योग अभ्यास को करने से ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है। साथ ही इसे करने से हमारे शरीर के आंतरिक भागों को रिलेक्स मिलता है। क्योंकि इस पोज को आंतरिक अंगों की मालिश करने के लिए भी जाना जाता है। नियमित अभ्यास से पेट और कूल्हों की मांसपेशियों को भी टोन करने में मदद मिलती है।

यह मुद्रा स्पाइनल ट्विस्टिंग लिवर और अग्न्याशय जैसे शरीर के आंतरिक अंगों को डिटाक्सीफाई करने में मदद करती है। इस योग से पाचन में सुधार होता है और कब्ज से राहत मिलती है। चूंकि इसे करते वक्त आप अपने पेट वाले हिस्से पर दबाव डालते हैं और इसलिए ये अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद करता है। यह योग सीने को खोलता है और फेफड़ों में आक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है।

कूल्हे के जोड़ों की सर्जरी, बाहों, कंधों, ऊपरी पीठ और गर्दन में तनाव को कम करने में भी ये योग मदद कर सकता है। सबसे पहले दंडासन में बैठें और एक हाथ को जमीं पर दबाएं। अब सांस अंदर लेते हुए रीढ़ की हड्डी को जितना हो सके उतना खीचें।

अब बाएं पैर को मोड़ें और दाएं घुटने के उपर से लाकर फिर बाएं पैर को जमीन पर रखें। इसके बाद गर्दन को इस तरह मोड़ें कि आपकी नजर बाएं कंधे पर हो। कमर को बायें हाथ से घेरें, हथेली बाहर की ओर हो। पोस्चर में कुछ देर इसी तरह बैठे रहें और सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें। आसन में पांच बार गहरी सांस लें और फिर इसी तरह से दूसरी ओर अभ्यास करें।

Posted By: Nai Dunia News Network

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