National Sports Day: लगातार बढ़ रही प्रतिस्पर्धा में बच्चों पर पढ़ाई का बोझ बढ़ रहा है, जिस वजह से वे अपने खेलकूद के प्रति अपनी रुचि कम दिखाते हैं। इस ओर माता-पिता भी इतना ध्यान नहीं देते हैं कि बच्चों के लिए खेलना-कूदना भी उतना ही जरूरी है, जितना उनका पढ़ाई करना। पढ़ाई और खेलने के समय को यदि निर्धारित कर लिया जाए तो बच्चे मैनेज कर दोनों ही ओर अपनी रुचि दिखा सकते हैं। इंदौर के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के डॉ. अरुणांगशु मुखर्जी, ऑर्थोपेडिक ज्वाइंट रेप्लेसमेंट, ऑर्थोस्कोपिक एंड शोल्डर सर्जन विस्तार से बता रहे हैं, खेल के फायदों के बारे में।
बच्चों को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने के लिए उनका खेलना जरूरी है। इससे उनका शारीरिक विकास तेजी से होता है। दरअसल खेलने के दौरान शरीर में तेजी से ऑक्सीजन का संचार होता है, जिससे शरीर में रक्त का संचार सुचारु रुप से होता है। हड्डियों के विकास में खेलना काफी मददगार होता है। वहीं इससे बच्चों का पाचन तंत्र भी अच्छा होता है।
खेलने से बच्चे दिमागी रूप से विकसित होते हैं और उनकी सोचने-समझने की क्षमता विकसित होती है। यही नहीं इससे उनकी स्मृति भी तेज होती है। इससे उन्हें पढ़ाई में काफी मदद मिलती है। खेलने के दौरान शरीर से एंडोर्फिन नामक हार्मोन स्रावित होता है, जिससे शरीर में सकारात्मक भावना का संचार होता है।
बच्चों में सक्रियता बनी रहे, इसके लिए उनका खेलना बेहद आवश्यक है, हालांकि वे दिनभर में खेलने के लिए कम से कम दो घंटे का समय निकाल सकते हैं। खेलने से उनकी सेहत अच्छी रहती है और उनकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यही नहीं खेलने से उनके कार्डियो-वैस्कुलर फंक्शन भी अच्छे होते हैं।
जब बच्चे किसी भी तरह की खेल प्रतियोगिता में भाग लेते हैं, तो इससे उनमें सामाजिक कौशल का बहुत अच्छा विकास होता है। इसी दौरान बच्चों में मेलजोल बढ़ता है जिससे वे आपस में बातचीत करते हैं और इसी से वे सामाजिक कौशल में विकसित होते हैं।
बच्चे खेल के माध्यम से कई तरीकों से सोचना सीखते हैं। एकांत में खेल उतना ही मूल्यवान हो सकता है, जितना कि ग्रुप में खेले जाने वाले खेल होते हैं। यह बच्चों को स्वतंत्रता की एक मजबूत भावना प्रदान करके और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के साथ ही सामाजिक परिस्थितियों के लिए तैयार करने में मदद करता है।
डॉ. मुखर्जी का मानना है कि कोई भी खेल किसी खिलाड़ी की सहनशीलता के लिए चुनौती के समान होता है। खेल गतिविधियों से शारीरिक सहनशीलता बढ़ती है, क्योंकि प्रत्येक खेल आख़िरी तक खेला जाता है, जिससे आपका बच्चा सीखता है कि अधिक समय तक गर्मी में कैसे रहा जा सकता है या चोट लगने पर भी खेल खेलने के उत्साह में उसे चोट का एहसास कम होता है, जैसी सभी बातें उनमें सहनशीलता को बढ़ाती हैं।
कई तरह के खेल खेलने से बच्चों के आत्मसम्मान में सुधार होता है। इससे उनके मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दरअसल जब खेल में बच्चे यदि जीत जाते हैं या किसी टीम के रूप में खेलने पर उनकी टीम के जीतने पर बच्चों को काफी खुशी मिलती है, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। इससे उनमें स्किल डेवलपमेंट के साथ-साथ धैर्य रखने की क्षमता का भी विकास होता है। बच्चे अपने जीवन में अपने लक्ष्य को लेकर काफी दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते हैं, जिससे वे पढ़ाई में भी अच्छे होते हैं।