Kapalbhati Pranayama। बीते कुछ सालों में योग के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा है और लोगों को योग व प्राणायाम के फायदे भी होने लगे हैं। योग और प्राणायाम के जरिए कई बीमारियों पर काबू किया जा सकता है। यूं तो कई तरह के योगासन व प्राणायाम है, लेकिन सिर्फ एक कपालभाति प्राणायाम करके भी कई तरह के स्वास्थ्य लाभ लिए जा सकते हैं। कपालभाति प्राणायाम तनाव दूर करने से लेकर वजन कम करने तक कई फायदे पहुंचाता है।
शरीर की इम्युनिटी बढ़ाता है कपालभाति प्राणायाम
योग विशेषज्ञों का कहना है कि अगर नियमित रूप से कपालभाति का अभ्यास करते हैं तो कई रोगों पर काबू पाया जा सकता है। इसके अलावा कपालभाति प्राणायाम शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में भी मदद करता है।
जानिए क्या है कपालभाति प्राणायाम
कपालभाती प्राणायाम योग षट्कर्म (हठयोग) की एक विधि (क्रिया) है। संस्कृत में कपाल का अर्थ है माथा या ललाट और भाति का अर्थ है तेज यानी 'कपालभाति प्राणायाम' एक ऐसा प्राणायाम है, जो मस्तिष्क की शुद्धि करता है और इस स्थिति में मस्तिष्क का कार्य सुचारू रूप से संचालित होता है।
ऐसे करें कपालभाति प्राणायाम
- सबसे पहले एक योगा मैट पर बैठ जाएं और अपनी रीढ़ को सीधा रखें। इसके बाद हाथों को अपने घुटनों पर रखें और गहरी सांस लें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए पेट को धीरे-धीरे अंदर की ओर खींचे।
- नाभि को अंदर की ओर खींचें और कुछ सेकंड के लिए सांस छोड़ें। ऐसा एक राउंड में 35 से 100 बार करना चाहिए। धीरे-धीरे इस विधि को बढ़ाना चाहिए।
- कपालभाति प्राणायाम की शुरुआत से ही ज्यादा नहीं करें। धीरे-धीरे इसका समय बढ़ाना चाहिए।
- कपालभाति प्राणायाम करने के बाद कुछ देर ताली बजाएं।
कपालभाति के तीन प्रकार
वात कृपा कपालभाति यह भस्त्रिका प्राणायाम के समान है इस का अभ्यास करते समय सांस रोकना और छोड़ना सक्रिय होता है। विमुक्तकर्म कपालभाति जल जालि के समान होता है इसमें नाक के माध्यम से पानी लिया जाता है और मुँह से बाहर निकलना शामिल है। शीतकर्म कपालभाति को विमुक्त कर्म कपालभाति का उलटा माना जा सकता है, जिसमें पानी मुंह से अंदर फिर नाक के द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।
कब करना चाहिए कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति का अभ्यास खाली पेट (भोजन के कम से कम तीन से चार घंटे बाद) किया जाना चाहिए, इसलिए आप सुबह उठने के बाद भी कर सकते है ।
कपालभाति प्राणायाम के लाभ
- कपालभाति प्राणायाम अतिरिक्त वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है। फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को साफ करता है। परिसंचरण में सुधार, विशेष रूप से सिर में होता है।
- मानसिक विकारों को दूर करने में मदद करता है। अनिद्रा को दूर करता है, शरीर और मस्तिष्क में स्फूर्ति आती है। माथे को ठंड रखता है। इसका अभ्यास करने से पाचन अंगों में सुधार और भूख में सुधार होता है।
- खून को साफ करता है। विषाक्त पदार्थों को शरीर से मुक्त करता है। रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन को बढ़ाता है और रक्त को शुद्ध करता है।
- कपालभाति प्राणायाम करने से याददाश्त बढ़ती है और दिमाग तेज होता है।
- कपालभाति प्राणायाम विषाक्त पदार्थों शरीर से बाहर निकलते हैं।
- इस प्राणायाम से अस्थमा के रोगियों को काफी फायदा पहुंचता है।
कपालभाति करते समय ये रखें सावधानी
कपालभाती का अभ्यास गर्भवती या मासिक धर्म वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए। यदि आपको उच्च रक्तचाप, एसिड गैस्ट्रिक, हृदय रोग या पेट दर्द है, तो कपालभाति का अभ्यास न करें। अगर आपको चक्कर या बेचैनी महसूस होती है तो अभ्यास धीमा या बंद कर दे।