Monsoon Maladies: रोगजनक रोगाणुओं के कारण जल जनित रोग होते हैं। ये रोग दूषित पानी की वजह से होते हैं। ये रोग ज्यादातर खराब पानी पीने, भोजन बनाने में खराब पानी का उपयोग करने, गंदे पानी से कपड़े, बर्तन धोने से फैलते हैं। भारत में जल जनित रोगों को मानसून के समय होना बहुत ही आम बात है। बारिश के मौसम में बीमारियां तेजी से फैलती हैं। बाढ़ का पानी सीवेज से दूषित होता है इसमें मृत जानवरों के अवशेष मल-मूत्र और शारीरिक अपशिष्ट मौजूद होते हैं। इसके संपर्क में आने से बीमारियां जल्दी फैलती है। कच्चे खाने के पदार्थ, पीने का पानी और हवा भी बैक्टीरिया और वायरस से संक्रमित होते हैं। इनसे जल जनित रोग जन्म लेते हैं। आइए जानते है कुछ जल जनित रोगों के बारे में।
टाइफाइड
टाइफाइड एक बहुत ही सामान्य जल जनित रोग है। यह बैक्टीरिया साल्मोनेला टाइफी के कारण होता है। यह रोग ऐसे क्षेत्रों में होता है जहां गंदगी ज्यादा होती है। टाइफाइड कई बड़ी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। टाइफाइड के कुछ सामान्य लक्षण में तेज बुखार, ठंड लगना, कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द, दस्त, भूख न लगना, कब्ज, खांसी, वजन कम होना आदि शामिल है। इस संक्रमण के इलाज में डॉक्टर एंटीबायोटिक्स लिखते हैं। रोगी को शरीर में पानी की कमी से बचने के लिए तरल पदार्थों को लेने की भी सलाह दी जाती है।
हैजा
हैजा भी एक जल जनित रोग है। हैजा विब्रियो बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रोग दूषित खाना खाने और जानवरों के मल के कारण होता है। हैजा जैसी बीमारी से बचने के लिए हमें साफ-सुथरे तरीके से रहना चाहिए। साथ ही अपने आस भी सफाई रखनी चाहिए। जब कोई व्यक्ति एक बार बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाता है। तो यह आंत में फैलने लगता है। इससे जहरीले पदार्थों का निर्माण हो सकता है। जिससे दस्त, मतली, मांसपेशियों में ऐंठन, पेट में दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। एंटीबायोटिक्स और डॉक्टर की सलाह से हैजा के इलाज में मदद मिल सकती है।
जिआर्डिया
जिआर्डिया भी पानी से होने वाला रोग है। यह आमतौर पर तालाबों और नालों के दूषित पानी की वजह से होता है। साथ ही यह गंदे स्विमिंग पूल के कारण भी हो सकता है। यह रोग एक परजीवी के कारण होता है और कुछ हफ्तों तक इसका असर रहता है। जिआर्डिया के सबसे आम लक्षण में उल्टी, दस्त, भूख की कमी, पेट में दर्द, सिरदर्द और अत्यधिक थकान होते हैं। जिआर्डिया के लिए कोई विशेष टीका नहीं बना है। लेकिन कई तरीकों से इसे होने से रोका जा सकता है। बार-बार साबुन से हाथ धोने चाहिए, तैरते समय पानी न निगलें साथ ही मिनरल वाॅटर पिएं। इस बीमारी के लिए डॉक्टर एंटी-पैरासिटिक और एंटीबायोटिक दवाएं लिखते हैं।
पेचिश
पेचिश जिसे खूनी दस्त के रूप में भी जाना जाता है। यह भी एक जल जनित रोग है। यह माइक्रोबियल और परजीवी के कारण होता है। इसके कारण आंतों में सूजन आ जाती है। दूषित पानी और दूषित भोजन से पेचिश रोग होता है। पेचिश से संक्रमित रोगियों में मल में खून की समस्या होती है। डॉक्टर इसके इलाज में एंटीबायोटिक्स जैसी दवाएं लेने की सलाह देते हैं।
हेपेटाइटिस ए
हेपेटाइटिस ए रोग वायरस के कारण होता है। जो कि दूषित पानी में होते हैं। हेपेटाइटिस ए एक प्रकार का हेपेटाइटिस वायरस है। जो कि दूषित पानी के संपर्क में आने से व्यक्ति को संक्रमित करता है। हेपेटाइटिस ए से लीवर में सूजन आ जाती है जो कि लिवर पर अपना काफी असर डालता है। हेपेटाइटिस ए एक गंभीर बीमारी नहीं है। यह कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन यदि आप में लक्षण फिर भी बने रहें तो आप इलाज के लिए दवाओं और एंटीबायोटिक को डॉक्टर की सलाह पर ले सकते हैं। इस रोग के सामान्य लक्षणों में त्वचा का पीला पड़ना, बुखार, थकान, शरीर में दर्द, कमजोरी, पेट में दर्द और गहरे रंग का पेशाब शामिल होता है। हेपेटाइटिस ए के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है। ज्यादातर मामलों में यह अपने आप ही दूर हो जाता है। इसमें कुछ हफ्तों के लिए आराम करना सबसे अच्छा है। इससे तेजी से ठीक होने में मदद मिलती है। इसमें पर्याप्त तरल पदार्थ पीना, ताजा घर का खाना आदि महत्वपूर्ण है।