Pneumonia Symptoms । कुपोषण, समय पूर्व बच्चे का जन्म लेना, वजन कम होना, प्रदूषण व कई जन्मजात बीमारियां हैं, जिनके कारण बच्चे निमोनिया से शीघ्र ग्रसित हो जाते हैं। ऐसे में डाक्टरी सलाह से ही उपचार कराएं। माता-पिता स्वयं ही उपचार शुरू न करें। सावधानी भी रखें। यह बात नईदुनिया हेलो डाक्टर कार्यक्रम में नवजात शिशु व बाल रोग विशेषज्ञ डा. आकृति गुप्ता ने पाठकों के जवाब में कही।
डा. गुप्ता ने बताया कि बच्चों में यदि कुपोषण हो, समय से पहले बच्चे का जन्म हो, वजन कम, जिनको छह महीने तक मां का दूध न पिलाया गया हो, प्रदूषण, धूल, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना या जन्मजात दिल और लंग्स की बीमारी में निमोनिया का खतरा अधिक होता है। चूंकि बच्चे में जन्म के बाद नौ महीने तक मां के दूध से रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है, दूध छूटने के बाद मां के दूध से बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वयं ही विकसित होने लगती है।
ऐसी स्थिति में बच्चे को गंदगी, प्रदूषण, धूल से बचाना चाहिए। खान-पान पर ध्यान दें। बच्चे को सभी आवश्यक टीके लगवाएं। माता-पिता में स्वास्थ्य के प्रति शिक्षा भी आवश्यक है। बच्चा जिस चीज से एलर्जिक है उसके उपयोग से बचाएं। सिंथेटिक कलर वाले पदार्थ न खाने दें। ठंडा पानी न पिलाएं।
जन्म से जिस बीमारी से निमोनिया का खतरा हो, उस पर भी ध्यान देना आवश्यक है। बिना डाक्टरी सलाह से कोई कदम न उठाएं। यदि खांसी अधिक हो तो गले को न सूखने दें। कुनकुना पानी पिलाएं। पानी में शहद मिलाकर पी सकते हैं। अदरक-शहद का रस लें। गरम पानी की भाप लें। सभी टीके लगने के बावजूद शत प्रतिशत बीमारी की सुरक्षा नहीं मानी जा सकती है। यह टीके बीमारी को घातक होने से रोकते हैं।
पाठकों के सवाल, डा. गुप्ता के जवाब
बच्चे को खांसी बहुत हो रही है। निमोनिया के वैक्सीनेशन का असर कितने वर्ष तक रहता है।
-जितेंद्र सिंघई
उत्तर- अगर बच्चे का वैक्सीनेशन पूरा हो गया हो तो आपका बच्चा घातक बीमारियों से बचा रहेगा। किसी भी वैक्सीनेशन से बीमारी से शत प्रतिशत सुरक्षा नहीं होती। वैक्सीनेशन के बावजूद बीमारी हो सकती है। लेकिन गंभीर बीमारी से बच्चा बचा रहेगा। 5-6 साल तक बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। यदि रात में तापमान कम होने से खांसी होती है तो बच्चा एलर्जिक है। जांच करने पर उपचार बताया जा सकता है। गर्म पानी की भाप दिलवाएं। कुनकुना पानी दें। गला न सूखने दें। यह मौसमी हो सकता है।
निमोनिया बड़ों या बच्चों को एक समान होता है या अलग-अलग होता है।
-विनोद मूणत, बोरखेड़ा
उत्तर- निमोनिया बीमारी में बुखार, खांसी या तेज सांस चलने लगती है। गंभीर मामले में शरीर में नीलापन और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। नवजात या 2-3 महीने के बच्चों में निमोनिया होने पर यह बीमारी शरीर में दूसरी जगह जल्दी फैल सकती है। बच्चे जल्दी बीमार पड़ते हैं।
तीन साल का बच्चा है। बार-बार सर्दी होकर निमोनिया होता है। अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है।
-रीना गुप्ता, उज्जैन
उत्तर- अगर बच्चा बार-बार अस्पताल में भर्ती होता है तो उसके अन्य टेस्ट करना पड़ेंगे। कहीं कोई और बीमारी न हो यह देखना पड़ेगा। अगर टीबी होता हो एंटी बायोटिक से ठीक नहीं होगा। वजन कम और खून की कमी हो सकती है। विटामिन या खनिज तत्व की कमी हो सकती है। पूरी जांच करना पड़ेगी। कुपोषण भी हो सकता है।
मेरी 6 साल की बच्ची है। जब वह 6 महीने की थी, तभी सर्दी, गले में दर्द और बुखार की समस्या है।
-आयुषी सराफ, इंदौर
उत्तर- आप जो समस्या बता रही हैं, उस हिसाब से ठंडी और खट्टी चीजों से एलर्जी होगी। खट्टी, ठंडी चीजों से बचाएं। 7 से 8 साल तक एलर्जी रह सकती है। धूल से बचाव करें। नियमित एंटी बायोटिक उपयोग न करें। गर्म पानी की भाप दें। कुनकुना पानी पिलाएं। दवाइयां डाक्टरी सलाह पर ही लें।