By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Thu, 18 May 2023 01:02:32 PM (IST)
Updated Date: Thu, 18 May 2023 03:36:30 PM (IST)
Polycystic Ovary Syndrome । अधिकांश महिलाओं में देखा गया है कि वे अपने घर और परिवार की देखभाल की व्यस्तता में स्वयं पर ध्यान नहीं दे पाती है। महिलाओं में यदि कुछ दिक्कते शुरु होने लगे तो वे इसे मामूली मानकर नज़रअंदाज कर देती हैं। यही छोटी-मोटी परेशानियां आगे चलकर उन्हें किसी बड़ी बीमारी की ओर संकेत कर सकती हैं। इस बारे में इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल की डॉ. सुनिता चौहान, सीनियर कन्सल्टेन्ट, ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, पीसीओडी (Polycystic Ovary Syndrome) जैसी गंभीर समस्या को लेकर महिलाओं को सचेत कर रही हैं आइए जानते हैं-
पॉलिसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम
पीसीओडी या पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है जो महिलाओं के अंडाशय को प्रभावित करती है। पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), जो महिलाओं के अंडाशय में असामान्य अंडों के उत्पादन की समस्या के कारण होता है एवं प्रजनन अंग जो कि प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन करते हैं जो मासिक धर्म चक्र को नियमित बनाए रखने में मदद करते हैं। पॉलिसिस्टिक ओवरी सिन्ड्रोम की समस्या में महिला के अंडाशय बड़ी संख्या में अपरिपक्व या आंशिक रूप से परिपक्व अंडे पैदा करते हैं और इसी वजह से समय के साथ अंडाशय में सिस्ट बन जाते हैं। इसके कारण अंडाशय बड़े हो जाते हैं और बड़ी मात्रा में पुरुष हार्मोन का स्राव करते हैं। दुनिया में लगभग 10% महिलाएं पीसीओडी की समस्या से पीड़ित हैं।
पीसीओडी के लक्षण
कुछ महिलाओं में इसके लक्षण पहली माहवारी के दौरान दिखाई देने लगते हैं, जबकि कुछ महिलाओं को इसका पता तब चलता है जब उनका वजन बहुत बढ़ जाता है या उन्हें गर्भवती होने में परेशानी होती है। इनमें सबसे आम लक्षण निम्म हो सकते हैं-
• अनियमित माहवारी (Oligo menorrhea)
• मासिक धर्म का आना या न होना
• भारी माहवारी रक्तस्राव (menorrhagia)
• अत्यधिक बालों का बढ़ना (चेहरा, शरीर - पीठ, पेट और छाती सहित)
• मुहांसे (चेहरा, छाती और पीठ के ऊपरी हिस्से)
• वजन बढ़ना
• बालों का झड़ना
• त्वचा का काला पड़ना (गर्दन, कमर में और स्तनों के नीचे कालापन)
पीसीओडी के कारण
महिलाएं पीसीओडी से कैसे प्रभावित होती हैं यह अज्ञात है, लेकिन इसके कुछ कारण जैसे- अतिरिक्त इंसुलिन उत्पादन, अतिरिक्त एण्ड्रोजन उत्पादन, सूजन, वंशागति आदि हो सकते हैं।
पीसीओडी की गंभीर परिस्थितियां
पीसीओडी में कई तरह की जटिलताएं भी हो सकती हैं जैसे- असामान्य गर्भाशय रक्तस्राव, अनियमित मासिक धर्म, बांझपन, टाइप 2 डायबिटिज, समय से पहले प्रसव पीड़ा और समय से पहले जन्म, मेटाबॉलिक सिंड्रोम (उच्च रक्त शर्करा, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और स्ट्रोक के लिए जोखिम), NASH (नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस), अवसाद (अनचाहे बालों के बढ़ने और अन्य लक्षणों के कारण कई महिलाएं अवसाद और चिंता का अनुभव करती हैं), स्लीप एपनिया (ज्यादा वजन वाली महिलाओं में अधिक और रात के दौरान सांस लेने में नींद बाधित होती है), एंडोमेट्रियल कैंसर (गर्भाशय की परत के मोटे होने के कारण) या गर्भपात (गर्भावस्था का सहज नुकसान)
पीसीओडी का निदान
पीसीओडी या पीसीओएस का निदान करने के लिए, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं इनमें पेल्विक एक्ज़ामिनेशन किया जाता है जिसमें शारीरिक रूप से जनन अंगों, असामान्यताओं, या किसी भी वृद्धि के लिए जाँच की जाती है। इसके अलावा रक्त परीक्षण द्वारा हार्मोन के स्तरों को समझने में मदद कर सकता है या फिर इमेजिंग टेस्ट का सहारा भी लिया जा सकता है जिसमें अंडाशय के आकार, गर्भाशय की परत और अंडाशय में सिस्ट की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड इमेजिंग टेस्ट का उपयोग किया जाता है।
पीसीओडी का बेहतर इलाज
जीवनशैली मे सुधार कर इस तरह की समस्या से बचा जा सकता है। पीसीओडी मुख्य रूप से महिलाओं में शरीर के हार्मोन संतुलन को प्रभावित करता है। निम्नलिखित कदम महिलाओं को शरीर में एण्ड्रोजन स्तर कम करने में मदद कर सकते हैं-
वजन बनाए रखना
स्वस्थ शरीर के लिए वजन को नियंत्रित बनाए रखने से पूरे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार होने में मदद मिलती है। यही नहीं संतुलित वजन उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह के जोखिम को कम करता है। वहीं आदर्श इंसुलिन के स्तर और एण्ड्रोजन के स्तर को बनाए रखता है जो मासिक धर्म चक्र में ओव्यूलेशन चरण को भी बहाल करता है।
कार्बोहाइड्रेट के सेवन को सीमित रखें
एक कम कार्ब आहार या जटिल कार्बोहाइड्रेट आहार जो इंसुलिन के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। मछली, मांस, अंडे, जमीन के ऊपर उगने वाली सब्जियां और प्राकृतिक वसा (जैसे सूरजमुखी के बीज, कद्दू के बीज, तिल और मक्खन) खाएं और चीनी और स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ (जैसे आलू, ब्रेड, चावल, पास्ता और बीन्स) से परहेज करें।
नियमित व्यायाम करना और सक्रिय रहना
नियमित व्यायाम करना और सक्रिय रहना रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और आपके वजन को नियंत्रण में रखने में मदद करेगा।
उपचार लक्षणों पर निर्भर
पीसीओडी का उपचार समस्या के लक्षणों पर निर्भर करेगा जिसके लिए हार्मोनल असंतुलन और इंसुलिन प्रतिरोध के उपचार के लिए दवा द्वारा मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करें। प्रजनन दवाओं के माध्यम से बांझपन का उपचार हो सकता है। अत्यधिक बालों के विकास के लिए लेजर या वैक्सिंग का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा गभीर समस्या हो तो फुल टाईम सिस्टम देने वाले हॉस्पिटल में जाकर अपनी सही इलाज करवाएं ताकि उचित समय पर सही इलाज मिल सके।