एक ऐसी तकलीफ जो आपके शरीर के ऊतकों में कॉपर के बनने और इकट्ठा होने की प्रक्रिया को खतरे की हद तक तीव्र कर देता है। रेयर डिसीज के अंतर्गत आने वाली इस बीमारी के अधिकांश मामलों में लीवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प होता है लेकिन कुछ मामलों में मेडिकेशन से भी लाभ पहुंच सकता है।
यह एक जेनेटिक डिसऑर्डर है। अक्सर सौ में से एक व्यक्ति में इसका एबनॉर्मल जीन उपस्थित हो सकता है, लेकिन ऐसे में वह सिर्फ 'कैरियर" यानी वाहक की भूमिका अदा करता है। उसमें खुद इस बीमारी के लक्षण नहीं पनपते। यदि माता और पिता दोनों में इस बीमारी का ऐसा एक-एक जीन उपस्थित हो, तो फिर बच्चे में इस बीमारी के होने की पूरी आशंका होती है। यानी इस बीमारी के लिए किसी भी व्यक्ति में दोनों एबनॉर्मल जीन्स का होना जरूरी है।
बचपन से पनप सकते हैं लक्षण
इस बीमारी से संबंधित अनियमितताएं या लक्षण आमतौर पर 6-20 साल की उम्र में पनपने शुरू हो सकते हैं, लेकिन कई मामलों में यह ज्यादा उम्र में भी सामने आ सकते हैं। खासतौर पर लीवर और ब्रेन के ऊतकों में कॉपर के बनने की प्रक्रिया होती है। इससे इन दोनों ही अंगों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है। यही कारण है कि स्थिति इतनी बिगड़ सकती है कि नौबत लीवर ट्रांसप्लांट तक आ जाती है। यदि लक्षणों के अनुसार सही समय पर इस बीमारी की पहचान हो जाए, तो इलाज द्वारा पीड़ित फिर से सामान्य जिंदगी जी सकता है।
कॉपर है लाभदायी भी
हमारे शरीर को अन्य तत्वों की तरह ही कॉपर की भी सीमित मात्रा में जरूरत होती है। कॉपर हमारी नर्व्स, हड्डियों, त्वचा और कोलेजन के स्वास्थ्य को बनाए रखने में तथा उनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दृष्िट से कॉपर हमारे लिए जरूरी होता है। आमतौर पर शरीर को विभिन्न खाद्यों के जरिए इस कॉपर की पूर्ति होती है और जरूरत के अनुसार शरीर इसका अवशोषण करके प्राकृतिक क्रिया द्वारा बचा हुआ कॉपर शरीर से बाहर कर देता है। विल्सन'स डिसीज के पीड़ितों में ऐसा नहीं हो पाता और कॉपर शरीर के अंदर ही जमने भी लगता है और अधिक मात्रा में बनने भी लगता है।
जरुरी है टेस्ट करवाना
इस बीमारी के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कॉपर शरीर में किस स्थान पर जमा हो रहा है। यही कारण है कि इसके लक्षणों में दूसरी कई सारी बीमारियों की तरह के भी लक्षण दिखाई दे सकते हैं और अक्सर यही बात मरीज को भ्रम में डाल देती है। इसलिए मरीज खुद ही अपना इलाज करने की कोशिश करने लगता है और ज्यादा नुकसान पहुंचा डालता है। इसलिए सबसे पहला कदम यह है कि चाहे लक्षण किसी सामान्य बीमारी के भी हों तो भी एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और जरूरी टेस्ट करवाएं। विल्सन'स डिसीज में आमतौर पर यह लक्षण दिखाई देते हैं-
रहें सतर्क
यदि आपके परिवार में किसी को यह बीमारी है, तो डॉक्टर को जरूर बताएं ताकि उस बेसेस पर तुरंत इलाज शुरू हो सके। यदि समय पर सही इलाज नहीं मिले, तो लीवर के अलावा किडनी तथा अन्य अंगों के भी प्रभावित होने या सायकोलॉजिकल समस्याओं के उपजने की भी आशंका हो सकती है। बीमारी की पहचान और इलाज के दौरान भी कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है। जैसे- ऐसी वस्तुओं के सेवन से बचना, जिनमें कॉपर की मात्रा हो। इसमें कॉपर की मात्रा वाले मल्टीविटामिन्स, मशरूम्स, चॉकलेट्स, नट्स, ड्रायफ्रूट्स, शैल फिश आदि शामिल हैं। अपनी डाइट को लेकर सतर्क रहें और डॉक्टर की सलाह पर पूरी तरह अमल करें। अपने पीने के पानी में कॉपर का स्तर चेक करवाएं।