डॉ. किशोर पंवार
इन दिनों तितली और पतंगे कुछ ज्यादा ही नजर आ रहे हैं। दरअसल हरियाली और कीट-पतंगों का साथ बिलकुल क्लोज फ्रेंड्स जैसा है। आजकल तितलियां सुबह की गुनगुनी धूप में अपने पंख सेक रही हैं वहीं पतंगे चांद की रोशनी में अठखेली कर रहे हैं। लगता हैं इन जीवों ने चांद-सूरज को आपस में बांट लिया है।
तुम अगर पतंगों का रूप-रंग देखोगे तो लगेगा की ये "ङकृति की पतंगें यानी काइट्स हैं जो केवल शाम के धुंधलके या रात के अंधेरे में ही उड़ती हैं। विज्ञान के मुताबिक ये दोनों जीव एक ही वर्ग लेपिडोप्टेरा में आते हैं।
इसका अर्थ है वे प्राणी जिनके पंखों पर स्केल्स चिपके रहते हैं। इन्हीं की बदौलत इन जीवों को रंग -बिरंगे पंख मिलते हैं। वास्तव में तो इनके पंख पारदर्शी होते हैं। अत: जहां स्केल्स लगे रहते हैं,वह हिस्सा हमें रंगीन नजर आता हैं। टसर सिल्क मॉथ के पंखों का वह भाग हमें पारदर्शी दिखाई देता हैं जहां स्केल्स नहीं होते। इसे देख ऐसा लगता हैं जैसे प्राकृति ने इन पर गोल-गोल कांच लगा दिए हों।
तितलियों और पतंगों में बहुत समानताएं हैं जिसके चलते लोग अक्सर धोखा खा जाते हैं, इन्हे पहचानने में। जैसे दोनों उड़ते जरा बूझो तो हैं, दोनों के पंख रंगीन होते हैं. इनको फूलों पर मंडराते भी देखा जा सकता हैं। दोनों अंडे देते हैं,और इनके लारवा पत्ती खाते हैं। कुल मिलाकर दोनों का पता- ठिकाना एक ही है।
अत: इनकी चिट्ठी अक्सर गलत पते पर पहुंच जाती हैं। यानी कि कई लोग भ्रम में आकर तितली को पतंगा और पतंगे को तितली का नाम दे दिया करते हैं। परन्तु अच्छा पोस्टमैन तो वही है न जो अधूरा पता लिखा होने पर भी पत्र को सही जगह पहुंचा दे। तो यह लेख पढ़ कर तुम भी अच्छे पोस्टमैन बन सकते हो। -डॉ. किशोर पंवार
ऐसे पहचानें अंतर