
नेशनल डेस्क। अहमदाबाद से साइबर सुरक्षा की एक प्रेरणादायक खबर सामने आई है, जहाँ बैंक मैनेजरों और पुलिस की सूझबूझ ने तीन बुजुर्गों को 2.21 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार होने से बचा लिया। इन मामलों में साइबर ठगों ने 'डिजिटल अरेस्ट' का इतना खौफ पैदा कर दिया था कि पीड़ित बुजुर्गों को असली पुलिस भी ठग लग रही थी।
धोखाधड़ी के ये तीन मामले अहमदाबाद के अलग-अलग इलाकों से जुड़े हैं:
घाटलोडिया: यहां एक 71 वर्षीय बुजुर्ग ने ठगों के झांसे में आकर अपने म्यूचुअल फंड से 93 लाख रुपये निकाले और 50 लाख की एफडी तुड़वा दी। जब वे इतनी बड़ी रकम एक निजी बैंक खाते में ट्रांसफर करने लगे, तो फंड अधिकारी पलक दोशी को संदेह हुआ। उन्होंने तुरंत साइबर सेल को सूचित किया और पुलिस के साथ मिलकर 1.43 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन रुकवाया।
सैटेलाइट: सेंट्रल बैंक के एक 65 वर्षीय ग्राहक 45 लाख रुपये की एफडी तुड़वाकर ओडिशा के एक खाते में भेजना चाहते थे। बैंक मैनेजर को असामान्य व्यवहार देख शक हुआ और पुलिस की जांच में 'डिजिटल अरेस्ट' की साजिश का खुलासा हुआ।
मणिनगर: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की एक पूर्व कोच 33.35 लाख रुपये ट्रांसफर करने बैंक पहुँचीं। बैंक मैनेजर ने देखा कि वे लगातार वीडियो कॉल पर थीं और घबराई हुई थीं। मैनेजर ने तुरंत हस्तक्षेप कर पुलिस को बुलाया। उन्हें यह समझाने में घंटों लग गए कि उनके साथ धोखाधड़ी हो रही है।
इन तीनों घटनाओं में बैंक अधिकारियों की सतर्कता सबसे महत्वपूर्ण रही। ठगों का मनोवैज्ञानिक दबाव इतना अधिक था कि दो मामलों में तो बुजुर्गों ने असली पुलिसकर्मियों से बहस तक कर ली। अंततः समय पर हुई कार्रवाई से उनकी जीवनभर की जमा-पूंजी सुरक्षित बच गई।
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