एजेंसी, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि विश्व भारत को उसके आध्यात्मिक ज्ञान के कारण महत्व देता है और देश को इस क्षेत्र में विश्वगुरु माना जाता है। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था कितनी भी तेजी से बढ़े, इस बात से आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
भागवत ने नागपुर में एक मंदिर में आयोजित समारोह में कहा कि अगर भारत तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन भी जाता है, तो यह कोई अनोखी बात नहीं है क्योंकि कई देशों ने यह उपलब्धि हासिल कर ली है। अमेरिका, चीन और कई अन्य देश अमीर हैं। भारत भी आर्थिक प्रगति करेगा। लेकिन दुनिया में ऐसा अध्यात्म और धर्म कहीं नहीं है जो भारत के पास है।
सभी क्षेत्रों में विकास होना चाहिए
उन्होंने बताया कि धन महत्वपूर्ण है और सभी क्षेत्रों में विकास होना चाहिए, लेकिन भारत को सच्चे अर्थों में विश्वगुरु तब माना जाएगा जब देश अध्यात्म और धर्म में भी आगे बढ़ेगा।
भागवत ने कहा कि अध्यात्म और धर्म में उन्नति तभी होगी जब हम सिर्फ त्योहार मनाने और पूजा-अर्चना करने तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि हमारा जीवन भी भगवान शिव की तरह निर्भय होगा। हमें अपने जीवन में इतना साहस दिखाना होगा कि हम अपने गले में सांप भी धारण कर सकें।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत अपनी अच्छाई और ज्ञान से ही महान बनता है और वह सभी को अच्छाई देता है।
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