डिजिटल डेस्क, दिल्ली। बिहार की राजनीति में ‘जंगलराज’ का मुद्दा लंबे समय तक गूंजता रहा। विपक्षी दल अक्सर लालू प्रसाद यादव के शासनकाल पर सवाल उठाते थे। इसी दौर में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने पूरे देश को हिला दिया और राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
यह मामला राजधानी पटना का था। यहां एक IAS अफसर की पत्नी, मां, भतीजी और दो नौकरानियों के साथ करीब 2 साल तक दुष्कर्म की वारदात होती रही। चौंकाने वाली बात यह रही कि इस केस में एक राजद विधायक और उनके बेटे का नाम आया। मामला सार्वजनिक होते ही राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में छा गया।
कौन पीड़ित और कौन आरोपी?
यह घटना 1995 की है। 1982 बैच के एक IAS अधिकारी की शादी 1990 में हुई थी। 1995 में उन्हें सचिव स्तर पर तैनाती मिली और पटना के बेली रोड स्थित सरकारी आवास में परिवार सहित रहने लगे।
इसी दौरान राजद विधायक Hemlata Yadav को बिहार समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया और उन्हें IAS अफसर के बगल वाला मकान अलॉट हुआ। उनके साथ उनका 27 वर्षीय बेटा Mrityunjay Yadav भी वहीं रहने लगा, जो उस समय दिल्ली यूनिवर्सिटी का छात्र था।
घटना की शुरुआत
7 सितंबर 1995 को हेमलता यादव ने IAS अफसर की पत्नी को अपने घर बुलाया। आरोप है कि वहां कमरे में बंद कर उनके बेटे मृत्युंजय ने दुष्कर्म किया। बाद में धमकाकर पीड़िता को चुप करा दिया गया। इसके बाद आरोपी लगातार IAS अफसर के घर जाकर उनकी मां, भतीजी और नौकरानियों को भी हवस का शिकार बनाने लगा।
करीब दो वर्षों तक (1995 से 1997 तक) यह सिलसिला चलता रहा। आरोप यहां तक लगे कि आरोपी ने अवैध संतान से बचने के लिए पीड़िता की नसबंदी भी करवा दी।
जंगलराज का मुद्दा
काफी समय तक चुप रहने के बाद पीड़ित परिवार ने पुलिस को लिखित शिकायत दी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। तब भाजपा नेता Sushil Kumar Modi ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले को सार्वजनिक किया और लालू सरकार पर जंगलराज फैलाने का आरोप लगाया। मामला मीडिया में आते ही सुर्खियों में आ गया।
गिरफ्तारी और मुकदमा
1997 में राज्यपाल Sunder Singh Bhandari के हस्तक्षेप पर आरोपी मृत्युंजय यादव को गिरफ्तार किया गया। विधायक हेमलता यादव कुछ समय फरार रहने के बाद सरेंडर कर गईं। बाद में कोर्ट ने मृत्युंजय को 10 साल और हेमलता को 3 साल की सजा सुनाई।
हाईकोर्ट का फैसला
पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलट दिया और दोनों को बरी कर दिया। कोर्ट ने सवाल उठाए कि पीड़िता ने 2 साल तक चुप्पी क्यों साधी और गर्भपात व नसबंदी क्यों कराई? बचाव पक्ष ने दलील दी कि यह आपसी संबंध का मामला था और आरोप भ्रष्टाचार छिपाने के लिए लगाए गए।
इसके बाद क्या हुआ?
इस घटनाक्रम के बाद IAS अफसर झारखंड चले गए और वहीं निधन हो गया। उनकी पत्नी गुमनामी में जीवन बिता रही हैं। बताया जाता है कि उन्हें अनुकंपा पर नौकरी भी मिली थी। वहीं, इस केस के बाद Hemlata Yadav की राजनीतिक करियर पूरी तरह खत्म हो गया। उनके बेटे मृत्युंजय के बारे में भी अब कोई जानकारी सामने नहीं आती।