डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025) की तारीखों की आधिकारिक घोषणा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को की। इस बार राज्य में दो चरणों में चुनाव होंगे।
इस ऐलान के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। चुनाव आयोग ने बताया कि छठ महापर्व के बाद चुनाव कराना उचित होगा ताकि प्रवासी बिहारियों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। बिहार से लाखों लोग रोज़गार की तलाश में दूसरे राज्यों में रहते हैं। इनमें से अधिकतर छठ पर्व पर अपने घर लौटते हैं। इसलिए सभी राजनीतिक दल चाहते हैं कि छठ के तुरंत बाद एक ही फेज में चुनाव हो ताकि अधिक से अधिक मतदाता वोट डाल सकें और लोकतंत्र का पर्व सशक्त बने।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कोविड महामारी के बीच आयोजित हुए थे। चुनाव आयोग ने सुरक्षा को देखते हुए उस समय तीन चरणों में मतदान कराया था।
2020 के चुनाव में एनडीए ने बहुमत हासिल करते हुए सरकार बनाई थी, जबकि महागठबंधन थोड़े अंतर से पीछे रह गया था।
2020 के विधानसभा चुनाव में NDA और महागठबंधन के बीच वोट शेयर का अंतर सिर्फ 0.03% था।
यानी कुल वोटों में सिर्फ 12,000 वोटों का अंतर था। इसी मामूली अंतर के कारण महागठबंधन 15 सीटों से चुनाव हार गया, जबकि राजद 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।
इस बार मुकाबला फिर एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच दिलचस्प रहेगा। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी इस बार एक नया समीकरण जोड़ सकती है। वह खुद को बिहार की राजनीति में एक वैकल्पिक ताकत के रूप में पेश कर रही है।
बिहार की सियासत हमेशा से जातीय समीकरणों, विकास के मुद्दों और गठबंधनों की राजनीति पर आधारित रही है। 2025 के चुनाव में देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन अपनी पिछली हार का बदला ले पाता है या नहीं, और क्या एनडीए अपनी जीत को दोहरा पाता है।
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