एजेंसी,किशनगंज। बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे नेताओं का दल बदलने का सिलसिला भी तेज हो गया है। हाल ही में तीन पूर्व विधायकों ने अपनी पुरानी पार्टी को छोड़कर नई पार्टी का दामन थाम लिया है। माना जा रहा है कि इन नेताओं की नजर टिकट पर है। इनके दल बदलने से कई मौजूदा विधायकों की चिंता बढ़ गई है।
कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र से दो बार जदयू के टिकट पर विधायक रह चुके मुजाहिद आलम ने पिछले महीने सुंदरबाड़ी में आयोजित राजद नेता तेजस्वी यादव की सभा में राजद की सदस्यता ली। वर्ष 2014 के उपचुनाव में उन्होंने जदयू उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी।
2015 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने एआईएमआईएम के अख्तरूल इमाम को मात दी थी। हालांकि, 2020 के चुनाव में इन्हें एआईएमआईएम के इजहार असफी से करीब 40 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव का टिकट पाने की भी कोशिश की थी।
वक्फ संशोधन कानून का विरोध
वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने वाले मुजाहिद आलम का कहना है कि हालात बदलने के कारण उन्हें नीतीश कुमार से 15 साल पुराना रिश्ता तोड़ना पड़ा। वर्तमान में कोचाधामन सीट पर राजद का ही विधायक है, ऐसे में टिकट के लिए अंदरूनी मुकाबला और तेज हो गया है।
इसी तरह, कमरूल होदा, जो 2019 के उपचुनाव में एआईएमआईएम के टिकट पर किशनगंज सदर सीट से विधायक बने थे, 2020 में फिर मैदान में उतरे लेकिन तीसरे स्थान पर रह गए। इसके बाद उन्होंने राजद जॉइन की और जिलाध्यक्ष बनाए गए। हालांकि, हाल ही में उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया और दो सितंबर को पटना में कांग्रेस का हाथ थाम लिया।
उन्हें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार और वरिष्ठ नेता शकील अहमद खां ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस दौरान कांग्रेस विधायक इजहारूल हुसैन भी मौजूद रहे। किशनगंज सदर सीट पर पहले से ही कांग्रेस का कब्जा है, ऐसे में अब यहां टिकट के लिए दो दावेदार सामने आ गए हैं। खुद पूर्व विधायक ने कहा है कि अगर पार्टी चाहेगी तो वे चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
सपा से बने थे विधायक
वहीं, गोपाल कुमार अग्रवाल, जो 2005 में समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर ठाकुरगंज से विधायक बने थे, उन्होंने हाल ही में फिर से जदयू का दामन थामा है। 2020 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और दूसरे स्थान पर रहे। उस वक्त राजद के सउद आलम ने उन्हें करीब 23 हजार मतों से हराया था।
सपा से विधायक बनने के बाद अग्रवाल ने पहले भी जदयू की सदस्यता ली थी। 2010 के चुनाव में जदयू उम्मीदवार रहे लेकिन लोजपा के नौशाद आलम से हार गए। इसके बाद 2015 में लोजपा से चुनाव लड़े, मगर फिर जदयू के नौशाद आलम से पराजित हुए। अब उन्होंने एक बार फिर जदयू में वापसी की है। संभावना जताई जा रही है कि अगर ठाकुरगंज सीट जदयू के खाते में आती है, तो वे टिकट के मजबूत दावेदार होंगे।