डिजिटल डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhansabha Chunav) की आहट के साथ ही NDA के भीतर सीट बंटवारे पर खींचतान तेज हो गई है। जदयू और भाजपा के बीच सीटों का बंटवारा लगभग तय है, लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने अपनी मांग से पूरे समीकरण को उलझा दिया है।
जानकारी के मुताबिक एनडीए कोऑर्डिनेशन कमेटी ने JDU को 102, BJP को 101, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को 10 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 10 सीटें देने पर सहमति बना ली है। वहीं, लोजपा (रामविलास) को 20 सीटें दी जा रही हैं, लेकिन चिराग पासवान (Chirag Paswan) इस प्रस्ताव से संतुष्ट नहीं हैं। उनकी पार्टी 40 से ज्यादा सीटों की दावेदारी पेश कर रही है।
चिराग पासवान ने अपने बहनोई और जमुई से सांसद अरुण भारती को आगे कर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है। अरुण भारती ने तो 43 से 103 सीटों तक की मांग रखकर NDA की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान का यह रुख उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा रखने के लिए है। वहीं, जदयू किसी भी हालत में उन्हें बड़ी हिस्सेदारी देने को तैयार नहीं है। भाजपा की ओर से कोशिशें जारी हैं कि चिराग को समझाकर समझौते पर लाया जाए।
गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने 145 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। हालांकि उस चुनाव में जदयू की स्थिति कमजोर हुई और उसकी संख्या 71 से घटकर 41 रह गई। तब जदयू ने भी माना था कि लोजपा ने उसके प्रदर्शन को नुकसान पहुंचाया।
लोजपा की स्थापना 2003 में हुई थी और उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन फरवरी 2005 में रहा, जब 178 सीटों पर चुनाव लड़कर 29 विधायक जीते थे और 12.62 प्रतिशत वोट हासिल किया था। रामविलास पासवान की विरासत संभाल रहे चिराग अब एनडीए में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले सीट बंटवारे का फार्मूला तय करना एनडीए के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
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