डिजिटल डेस्क: बिहार के बाद अब बंगाल में भी मतदाता सूची के SIR को लेकर चुनाव आयोग (ECI)की सक्रियता देखने को मिल रही है। राज्य में एसआईआर को लेकर आयोग ने तैयारियां तेज कर दी हैं। बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की तैयारियों ने राजनीतिक सरगर्मी और जनता की चिंता दोनों बढ़ा (SIR in Bengal) दी हैं। इसी बीच सीमावर्ती जिलों मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की होड़ लग गई है।
लोग जन्म प्रमाण पत्र सही कराने, नए बनवाने या डिजिटलीकरण के लिए सुबह से ही कतारों में खड़े हैं। सामान्यत: 10 रुपये के स्टांप पेपर की कीमत अब दोगुनी चुकानी पड़ रही है। बरहमपुर नगर पालिका में रोजाना 500 से 600 आवेदन मिल रहे हैं, जबकि पहले केवल 10-12 आवेदन आते थे।
स्थानीय लोगों का मानना है कि एसआईआर के बाद राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू हो सकता है। इसी डर से लोग जल्द से जल्द वैध दस्तावेज हासिल करने की कोशिश में जुट गए हैं।
बिचौलिए इस अफरा-तफरी का फायदा उठा रहे हैं। छोटे-मोटे सुधार और डिजिटलीकरण के लिए वे 1,000 से 2,000 रुपये ले रहे हैं, जबकि बड़े बदलावों के लिए 4,000 से 5,000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं।
मामले पर राजनीति भी गर्मा गई है। मुर्शिदाबाद से टीएमसी विधायक मोहम्मद अली का कहना है कि SIR के खिलाफ कोई दल नहीं है। वहीं कांग्रेस नेता अधीर चौधरी का आरोप है कि राज्य सरकार दहशत कम करने के लिए जागरूकता अभियान नहीं चला रही, जिससे TMC को फायदा हो रहा है।
BJP नेता शमिक भट्टाचार्य ने अफरा-तफरी का माहौल बनाने के लिए TMC को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि 2021 चुनावों में भी ममता बनर्जी ने एनआरसी का डर दिखाकर लाभ उठाया था। माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां एसआइआर के लिए मांगे गए दस्तावेज ही लोगों में दहशत फैला रहे हैं।
SIR की प्रक्रिया ने बंगाल के सीमावर्ती जिलों में जनजीवन प्रभावित कर दिया है। NRC की आशंका और दस्तावेजों को लेकर फैली अफरा-तफरी के बीच राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं, जबकि आम लोग जन्म प्रमाण पत्र के लिए परेशान हो रहे हैं।
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