Bihar Election: टिकट की दौड़ में चाचा-भतीजी और जेठ-भावज, एक ही गांव से 12 से ज्यादा दावेदार
दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र का खलासिन गांव इस बार राजनीति का हॉटस्पॉट बना है। यहां से एनडीए, महागठबंधन और अन्य दलों के 12 से ज्यादा चेहरे टिकट की रेस में हैं। रिश्तेदार भी आमने-सामने हैं। नवंबर में संभावित चुनाव को देखते हुए टिकट की जुगत तेज हो गई है।
Publish Date: Tue, 23 Sep 2025 03:00:43 PM (IST)
Updated Date: Tue, 23 Sep 2025 03:00:43 PM (IST)
Bihar Election: एक ही गांव से 12 से ज्यादा दावेदारHighLights
- दरभंगा का खलासिन गांव बना चुनावी चर्चा का केंद्र।
- दरभंगा का खलासिन गांव बना सियासी अखाड़ा।
- बड़े नेताओं की राजनीतिक विरासत भी मैदान में।
एजेंसी, बिहार। दरभंगा जिले का खलासिन गांव विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) से पहले ही सियासी चर्चाओं में छा गया है। इस गांव की राजनीति इस बार सिर्फ स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि जिले और राज्य स्तर तक सुर्खियां बटोर रही है। कारण- एक ही गांव से 12 से ज्यादा दावेदारों का टिकट की दौड़ में उतरना।
एनडीए खेमे से
- एनडीए में जदयू के मौजूदा विधायक अमन भूषण हजारी, हाल ही में पार्टी ज्वॉइन करने वाले अतिरेक कुमार, जिला उपाध्यक्ष मनोज पासवान और भागीरथ पासवान टिकट की दौड़ में हैं।
- लोजपा (रामविलास) से अंजू देवी और गुंजन कुमारी भी टिकट पाने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
महागठबंधन खेमे से
- राजद से जयप्रकाश नारायण पासवान (प्रदेश महासचिव), अंजनी भारती (पूर्वी प्रखंड प्रमुख) और गणेश भारती मैदान में हैं।
- वीआईपी पार्टी से राजकुमार पासवान और अजय पासवान जबकि कांग्रेस से मुरारी पासवान टिकट की तलाश में हैं।
- नवगठित जनसुराज पार्टी से राजेंद्र प्रसाद चौपाल भी रेस में शामिल हो चुके हैं।
रिश्तेदारी का तड़का
यहां की राजनीति को और दिलचस्प बनाता है रिश्तेदारों की टक्कर।
- जदयू के मनोज पासवान और लोजपा की गुंजन कुमारी चाचा-भतीजी हैं।
- राजद के जयप्रकाश नारायण पासवान और अंजनी भारती जेठ-भावज हैं।
राजनीति की विरासत
- अमन भूषण हजारी पूर्व विधायक शशिभूषण हजारी के पुत्र हैं।
- अतिरेक कुमार पूर्व मंत्री डॉ. अशोक कुमार के बेटे हैं।
- अंजू देवी पूर्व विधायक जगदीश पासवान के परिवार से जुड़ी हैं और चिराग पासवान की रिश्तेदार भी हैं।
खलासिन गांव में इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों का सामने आना बताता है कि यहां राजनीति अन्य गांवों की तुलना में कहीं अधिक सक्रिय है। अब देखना यह होगा कि दलों की सीटों के बंटवारे और अंतिम सूची में कितने चेहरे जगह बना पाते हैं।