दिल्ली की हवा बनी ‘मेडिकल इमरजेंसी’, AIIMS विशेषज्ञों का कड़ा अलर्ट, गर्भवती महिलाएं,बच्चे, बुजुर्ग सबसे ज्यादा खतरे में
दिल्ली की जहरीली होती हवा ने एक बार फिर गंभीर संकट का संकेत दे दिया है। लगातार गिरती वायु गुणवत्ता को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के विशेषज्ञों ने इसे ‘मेडिकल इमरजेंसी’ करार दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली का प्रदूषण अब केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि लोक स्वास्थ्य का बड़ा खतरा बन गया है।
Publish Date: Wed, 19 Nov 2025 11:39:17 AM (IST)
Updated Date: Wed, 19 Nov 2025 11:39:49 AM (IST)
एम्स में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हैं प्रोफेसर डा. अनंत मोहन।HighLights
- दिल्ली का प्रदूषण अब लोक स्वास्थ्य का बड़ा खतरा बन गया है।
- सांस, फेफड़ों के साथ-साथ हृदय व मस्तिष्क संबंधी रोगों का जोखिम बढ़ा।
- अल्ट्रा-फाइन कण गर्भवती के शरीर के माध्यम से गर्भस्थ शिशु तक पहुंच रहे।
डिजिटल डेस्कः देश की राजधानी दिल्ली की जहरीली होती हवा ने एक बार फिर गंभीर संकट का संकेत दे दिया है। लगातार गिरती वायु गुणवत्ता को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के विशेषज्ञों ने इसे ‘मेडिकल इमरजेंसी’ करार दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली का प्रदूषण अब केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि लोक स्वास्थ्य का बड़ा खतरा बन गया है।
इन रोगों का जोखिम खतरनाक तरीके से बढ़ा
प्रेस वार्ता में AIIMS के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर स्लिप मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. अनंत मोहन और विशेषज्ञ डॉ. सौरभ मित्तल ने कहा कि राजधानी की हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि इससे सांस और फेफड़ों की बीमारियों के साथ-साथ हृदय व मस्तिष्क संबंधी रोगों का जोखिम खतरनाक तरीके से बढ़ गया है।
डॉ. मोहन ने चेतावनी दी, आज की जहरीली हवा, कल की गंभीर बीमारी है। यदि अभी प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली पीढ़ियों को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
गर्भवती महिलाओं और गर्भस्थ शिशुओं पर गहरा असर
विशेषज्ञों ने बताया कि हवा में मौजूद अल्ट्रा-फाइन कण गर्भवती महिलाओं के शरीर के माध्यम से गर्भस्थ शिशु तक पहुंच रहे हैं। इससे न केवल भ्रूण की वृद्धि प्रभावित होती है बल्कि कम वजन वाले बच्चों के जन्म और आगे चलकर फेफड़ों के कमजोर होने की आशंका भी बढ़ जाती है। यह असर कई बार जन्म के वर्षों बाद तक दिखाई देता है।
दिल–दिमाग तक पहुंच रहा प्रदूषण
डॉ. सौरभ मित्तल ने बताया कि प्रदूषण अब केवल अस्थमा, सांस फूलना और COPD तक सीमित नहीं है। हवा में मौजूद महीन कण रक्तप्रवाह में शामिल होकर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बढ़ते प्रदूषण की वजह से रोजाना 20 से 30 मरीज सांस और अन्य प्रदूषणजनित बीमारियों के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं।
सरकारी कदम जरूरी, लेकिन पर्याप्त नहीं
AIIMS विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ चुका है कि इससे निपटने के लिए मौजूदा सरकारी कदम महत्वपूर्ण तो हैं, पर पर्याप्त नहीं। उन्होंने कहा कि राजधानी को प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए अब युद्ध स्तर पर कार्रवाई की आवश्यकता है।