
डिजिटल डेस्क। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से दिल्ली सरकार ने कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए हैं। इन फैसलों का सीधा असर राजधानी की हवा, ट्रैफिक व्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण पर पड़ने वाला है। सरकार का कहना है कि ये कदम न सिर्फ मौजूदा हालात सुधारेंगे, बल्कि लंबे समय में दिल्ली को अधिक स्वच्छ और टिकाऊ शहर बनाने में मदद करेंगे।
कैबिनेट बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया कि अब दिल्ली में बसों का परिचालन पूरी तरह दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के तहत किया जाएगा। इसके तहत क्लस्टर बसों या DIMTS जैसी निजी व्यवस्थाओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा। सरकार का मानना है कि 100 प्रतिशत DTC संचालन से बस सेवा में एकरूपता आएगी, निगरानी बेहतर होगी और सार्वजनिक परिवहन ज्यादा भरोसेमंद बनेगा। इससे लोगों को निजी वाहनों पर निर्भरता कम करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जो अंततः प्रदूषण घटाने में सहायक होगा।
प्रदूषण नियंत्रण को लेकर एक और सख्त निर्णय लिया गया है। GRAP-4 प्रतिबंध हटने के बाद भी ‘नो PUC, नो फ्यूल’ नियम को स्थायी रूप से लागू रखने का फैसला किया गया है। इसके तहत जिन वाहनों के पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) नहीं होगा, उन्हें ईंधन नहीं दिया जाएगा। सरकार का मानना है कि इस नियम से सड़कों पर चलने वाले अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर प्रभावी रोक लगेगी और हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह कदम केवल अस्थायी उपाय नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक नीति का हिस्सा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आने वाले समय में इन फैसलों का सकारात्मक असर दिल्ली के वायु प्रदूषण के स्तर पर साफ दिखाई देगा।
कैबिनेट बैठक में दिल्ली के जलाशयों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने को लेकर भी अहम निर्णय लिया गया। इसके तहत झीलों, तालाबों और अन्य जल संरचनाओं के संरक्षण व पुनरुद्धार पर काम किया जाएगा। इससे भूजल स्तर में सुधार होगा, जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा और शहर को स्वच्छ जल स्रोत उपलब्ध होंगे। सरकार का मानना है कि जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और इस दिशा में ठोस कदम उठाना जरूरी है।
इलेक्ट्रॉनिक कचरे की बढ़ती समस्या को देखते हुए सरकार ने होलंबी कलां में ‘e-Waste Eco Park’ स्थापित करने का फैसला किया है। यह पार्क ई-कचरे के वैज्ञानिक और सुरक्षित निपटान के लिए समर्पित होगा। इसके जरिए न सिर्फ पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जाएगा, बल्कि रीसाइक्लिंग और संसाधनों के पुनः उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।
यह भी पढ़ें- ग्वालियर में राष्ट्रीय रोलर स्केटिंग से पहले हंगामा, कोच बोले- व्यवस्था नहीं थी इसलिए लौट आए
दिल्ली सरकार के ये फैसले यह संकेत देते हैं कि राजधानी में प्रदूषण से निपटने के लिए अब टुकड़ों में नहीं, बल्कि समग्र रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर सख्ती, जल स्रोतों का संरक्षण और ई-कचरे का सुरक्षित निपटान ये सभी कदम मिलकर दिल्ली को अधिक स्वच्छ, स्वस्थ और पर्यावरण-अनुकूल शहर बनाने की दिशा में अहम साबित हो सकते हैं।