एजेंसी, नई दिल्ली। नेपाल में जारी हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का असर अब दिल्ली के थोक बाजार और औद्योगिक क्षेत्रों पर गहराने लगा है। नेपाल, दिल्ली के लिए एक बड़ा निर्यात बाजार है और अनुमान के अनुसार, दोनों के बीच सालाना लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का व्यापार होता है। इस व्यापार में ऑटो, ट्रैक्टर और दोपहिया वाहन पार्ट्स, कृषि उपकरण, जूते-चप्पल, कपड़े और प्लास्टिक के उत्पाद प्रमुख हैं। वहीं, दिल्ली नेपाल से वनस्पति तेल, मसाले और जड़ी-बूटियां आयात करती है।
त्योहारों के सीजन में जहां कारोबार तेजी पकड़ रहा था, वहीं पिछले दो दिनों से आयात-निर्यात पूरी तरह से ठप हो गया है। भारत-नेपाल सीमा पर ट्रक रुके पड़े हैं और उद्यमी भारी नुकसान की आशंका से चिंतित हैं।
उद्योग नगर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी संगठन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने कहा कि प्लास्टिक उत्पाद और जूते-चप्पल नेपाल भेजे जाते हैं। अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो उद्योग नगर के कारोबारियों को बड़ा घाटा उठाना पड़ सकता है। इसी तरह, कश्मीरी गेट, मोरी गेट और करोलबाग से भी बड़ी मात्रा में वाहन पार्ट्स नेपाल भेजे जाते हैं।
ऑटोमोटिव पार्ट्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय नारंग के मुताबिक, अकेले ऑटो पार्ट्स का निर्यात करीब 1000 करोड़ रुपये का है। दो दिनों से बुकिंग बंद है और रास्ते में फंसे माल की सुरक्षा और भुगतान को लेकर व्यापारी परेशान हैं। मोरी गेट के ट्रैक्टर पार्ट्स व्यापारी चंद्रभूषण गुप्ता ने चिंता जताई कि कहीं बांग्लादेश जैसी स्थिति न हो जाए, जहां पहले ही थोक निर्यातकों का बड़ा पैसा फंसा हुआ है।
इसके अलावा, नेपाल से भारत में सोयाबीन और पामोलीन तेल की आपूर्ति होती है। नया बाजार के तेल विक्रेता और भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव हेमंत गुप्ता ने कहा कि यदि हालात जल्द काबू में नहीं आए, तो इसका सीधा असर खाद्य तेल की उपलब्धता और कीमतों पर दिख सकता है।
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