
एजेंसी , भागलपुर। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, भागलपुर जिले की राजनीति पूरी तरह से चुनावी रंग में डूब गई है। सात विधानसभा क्षेत्रों वाले इस जिले में प्रत्याशी घोषित होते ही जातीय और धार्मिक समीकरण खुलकर सामने आ गए हैं। दिलचस्प यह है कि कुल आबादी में मुस्लिम वोटरों की हिस्सेदारी 18.28 प्रतिशत है, इसके बावजूद बड़ी पार्टियों ने टिकट देने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई।
इस बार जिले की सात सीटों भागलपुर, नाथनगर, कहलगांव, सुल्तानगंज, बिहपुर, गोपालपुर और पीरपैंती से कुल 85 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें मुस्लिम प्रत्याशी केवल चार हैं। महागठबंधन ने अंतिम समय पर राजद कोटे से शेख जियाउल हसन को उतारा। इसके अलावा मंजर आलम निर्दलीय, बसपा से मतिउर रहमान और जनसुराज पार्टी से एक और मंजर आलम चुनाव लड़ रहे हैं।
नाथनगर से लंबे समय तक अबू केसर का नाम चर्चा में रहा, लेकिन टिकट बंटवारे के वक्त समीकरण बदल गए। भागलपुर सीट पर कांग्रेस ने फिर से अजीत शर्मा को उम्मीदवार बनाया, जिससे राजद खेमे में असंतोष भी सामने आया। डिप्टी मेयर सलाउद्दीन अहसन ने नाराजगी में निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया, लेकिन 20 अक्टूबर को हस्तक्षेप के बाद नामांकन वापस ले लिया।
कहलगांव और सुल्तानगंज में मुस्लिम वोटरों की संख्या काफी है, लेकिन टिकट वितरण में उन्हें खास तवज्जो नहीं मिली। यही कारण है कि कई जगहों पर वोटरों के महत्व को दल स्वीकार कर रहे हैं, मगर प्रत्याशी उतारने से परहेज कर रहे हैं।
पिछले चुनाव में ज्यादा थे उम्मीदवार
2020 विधानसभा चुनाव में जिले से कुल 95 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें *0 मुस्लिम प्रत्याशी शामिल थे। नाथनगर से राजद ने अली अशरफ सिद्दीकी को टिकट दिया था और यह सीट महागठबंधन को मिली थी। तब विभिन्न दलों और निर्दलीयों ने कई सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस बार उनकी संख्या आधी से भी कम रह गई है।