डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चुनावी व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के प्रयास में चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बड़ा कदम उठाते हुए 474 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) का पंजीकरण समाप्त कर दिया। ये दल पिछले छह सालों से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं ले रहे थे।
इस कार्रवाई के साथ अगस्त 2025 से अब तक कुल 808 दलों को आयोग की सूची से हटाया जा चुका है। इससे पहले, 9 अगस्त को पहले चरण में 334 पार्टियों को डीलिस्ट किया गया था।
नवीनतम कार्रवाई में उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 121 दलों का नाम सूची से हटाया गया। इसके बाद महाराष्ट्र (44), तमिलनाडु (42) और दिल्ली (40) का स्थान रहा। पंजाब (21), मध्य प्रदेश (23), बिहार (15) और आंध्र प्रदेश (17) जैसे राज्यों में भी बड़ी संख्या में पार्टियां प्रभावित हुई हैं।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत दलों को चुनाव चिह्न और कर छूट जैसी सुविधाएं दी जाती हैं। लेकिन नियम यह है कि यदि कोई राजनीतिक दल लगातार छह साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ता है, तो उसे रजिस्टर से बाहर कर दिया जाता है।
इसके अतिरिक्त, चुनाव आयोग ने 359 अन्य दलों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की है, जिन्होंने तीन वित्तीय वर्षों (2021-22 से 2023-24) तक न तो अपने ऑडिटेड खाते प्रस्तुत किए और न ही चुनाव खर्च की अनिवार्य रिपोर्ट दाखिल की। इन दलों में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश (127), दिल्ली (41) और तमिलनाडु (39) के संगठन शामिल हैं।
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आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इन दलों को कारण बताओ नोटिस जारी करें। इसके बाद संबंधित सीईओ सुनवाई कर अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपेंगे। अंतिम निर्णय उसी रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा ताकि किसी भी दल को अनुचित रूप से सूची से बाहर न किया जाए।