
डिजिटल डेस्क। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सदस्यों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। सरकार ईपीएफओ की अधिकतम मूल वेतन सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये महीना करने पर विचार कर रही है। इस प्रस्ताव पर सहमति बनाने की कोशिशें तेज हैं, हालांकि कर्मचारी और श्रम संगठनों का मानना है कि यह बढ़ोतरी पर्याप्त नहीं है। उनका कहना है कि मौजूदा महंगाई और कुशल श्रमिकों के बढ़े वेतन को देखते हुए यह सीमा कम से कम 30 से 40 हजार रुपये प्रतिमाह होनी चाहिए।
सकारात्मक रुख अपना रही सरकार
सूत्रों के अनुसार, सरकार की ओर से इस दिशा में सकारात्मक रुख अपनाया गया है, लेकिन नियोक्ताओं की असहमति के कारण अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। श्रम मंत्रालय ने पिछले कुछ महीनों में इस मुद्दे पर सभी हितधारकों के साथ कई दौर की चर्चाएं की हैं। हालांकि सभी पक्ष वेतन सीमा बढ़ाने के पक्ष में हैं, लेकिन सीमा 30 से 40 हजार तय करने पर सहमति नहीं बन पाई है।
श्रम मंत्रालय अब मध्यम रास्ता अपनाने की तैयारी में है। सूत्र बताते हैं कि मंत्रालय 15,000 रुपये की मौजूदा सीमा को बढ़ाकर 25,000 रुपये करने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है। संभावना है कि जनवरी में होने वाली ईपीएफओ ट्रस्टी बोर्ड की बैठक में इसे मंजूरी मिल सकती है।
समान और सम्मानजनक स्तर
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार को ईपीएफओ और ईएसआई दोनों की अधिकतम वेतन सीमा को एक समान और सम्मानजनक स्तर पर बढ़ाना चाहिए। आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि ईपीएफओ और ईएसआई की सीमा में एकरूपता जरूरी है।
ईएसआई की मौजूदा अधिकतम सीमा 21,000 रुपये प्रति माह है। श्रम और कर्मचारी संगठनों ने इसे महंगाई और आर्थिक स्थिति को देखते हुए 42,000 रुपये करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन नियोक्ता इससे सहमत नहीं हुए। अब इस पर अंतिम निर्णय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया के हाथों में है।
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