डिजिटल डेस्क: भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल (SGI) हरीश साल्वे (Harish Salve) ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 का समर्थन करते हुए कहा कि यह बिल्कुल उचित है कि जेल में बंद मंत्री सचिवालय से काम न करें। साल्वे ने हवाला डायरी मामले का जिक्र करते हुए कहा कि आरोप लगते ही नेताओं ने इस्तीफा दिया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कानून (Constitution Amendment Bill) केवल मंत्रियों को जेल से पद का दुरुपयोग करने से रोकता है, न कि उन्हें अयोग्य ठहराता है।
'शर्मनाक है कि ऐसा विधेयक लाना पड़ा’
पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा, “यह बेहद शर्मनाक है कि हमें इस तरह का कानून बनाने की जरूरत पड़ी। कोई यह दावा करे कि जेल से मंत्री पद का कार्य संभालने का उसे अधिकार है, यह लोकतंत्र का मजाक है। समस्या यह है कि राजनेता खुद को विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग समझने लगे हैं।”
साल्वे ने 1991 के हवाला डायरी मामले का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि उस समय आरोप लगते ही नेताओं ने स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया था, भले ही गिरफ्तारी न हुई हो। यहां तक कि लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेता ने भी कहा था कि जब तक नाम साफ नहीं होगा, वे सार्वजनिक जीवन में वापसी नहीं करेंगे।
साल्वे ने स्पष्ट किया कि यह कानून सिर्फ इतना कहता है कि जेल में बंद मंत्री सचिवालय से काम नहीं करेंगे। यह उन्हें अयोग्य नहीं ठहराता।
गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक पेश किया। इसमें प्रावधान है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री यदि किसी गंभीर अपराध में दोषी पाए जाते हैं और लगातार 30 दिनों तक जेल में रहते हैं, तो 31वें दिन उनका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा।
इस विधेयक को आगे की जांच के लिए संसद की एक संयुक्त समिति को भेजा गया है। इसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल किए गए हैं।
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