'दिल्ली में वायु प्रदूषण आपातकाल जैसी स्थिति', हाईकोर्ट ने जताई गहरी चिंता, एयर प्यूरीफायर पर GST घटाकर 5 फीसद करे सरकार
Delhi Air pollution: दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए इसे आपातकालीन स्थिति करार दिया है। कोर्ट ने सरकार ...और पढ़ें
Publish Date: Wed, 24 Dec 2025 03:01:54 PM (IST)Updated Date: Wed, 24 Dec 2025 03:01:54 PM (IST)
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर हाई कोर्ट ने जताई गहरी चिंता।HighLights
- ठोस कदम उठाने में प्रशासन विफल रहा
- कोर्ट ने बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता जताई
- एयर प्यूरीफायर पर अस्थायी राहत दी जाए
डिजिटल डेस्क। दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए इसे आपातकालीन स्थिति करार दिया है। एयर प्यूरीफायर को 'चिकित्सा उपकरण' की श्रेणी में शामिल करने और उस पर लगने वाले जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से इस प्रस्ताव पर विचार करने को कहा।
ठोस कदम उठाने में प्रशासन विफल रहा
न्यायालय ने कहा कि दिल्ली की हवा इस हद तक प्रदूषित हो चुकी है कि नागरिकों को स्वच्छ हवा मिलना मुश्किल हो गया है, जबकि यह हर व्यक्ति की बुनियादी आवश्यकता है। कोर्ट ने अधिकारियों की निष्क्रियता पर भी नाराजगी जताई और कहा कि प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम उठाने में प्रशासन विफल रहा है।
याचिकाकर्ता के वकील ने दी ये दलील
याचिकाकर्ता के वकील कपिल मदान ने दलील दी कि केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2020 में जारी अधिसूचना के अनुसार एयर प्यूरीफायर 'चिकित्सा उपकरण नियम, 2017' के तहत निर्धारित मानकों को पूरा करता है। ऐसे में इसे चिकित्सा उपकरण घोषित कर कम जीएसटी दर लागू की जानी चाहिए। वर्तमान में एयर प्यूरीफायर पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा रहा है।
हाई कोर्ट ने दिया ये सुझाव
कोर्ट ने सुझाव दिया कि कम से कम आपातकालीन स्थिति को देखते हुए एयर प्यूरीफायर पर अस्थायी राहत दी जाए। चाहे वह एक सप्ताह या एक महीने के लिए ही क्यों न हो। इसे न्यूनतम राहत बताते हुए न्यायालय ने पूछा कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक कब होगी और सरकार इस मुद्दे पर कब तक निर्देश लेकर आएगी।
कोर्ट ने बेहद संवेदनशील टिप्पणी की
कोर्ट ने बेहद संवेदनशील टिप्पणी करते हुए कहा, जैसे हम बात कर रहे हैं, वैसे ही हम सभी सांस ले रहे हैं। एक व्यक्ति दिन में औसतन करीब 21,000 बार सांस लेता है। सोचिए, दिन में 21,000 बार प्रदूषित हवा फेफड़ों में जाने से कितना नुकसान हो रहा है और यह सब अनजाने में हो रहा है। न्यायालय ने संकेत दिया कि इस मामले को अनुपालन के लिए अवकाशकालीन पीठ के समक्ष रखा जाएगा।