एजेंसी, पटना। ‘बिहार’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत और पालि भाषा के शब्द “विहार” से हुई है, जिसका अर्थ है निवास स्थान या मठ। बौद्ध काल में सम्राट अशोक और अन्य शासकों ने इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया और अनेक बौद्ध विहार, मठ और शिक्षण केंद्र स्थापित किए। नालंदा, विक्रमशिला और ओदंतपुरी जैसे महाविहारों ने इस क्षेत्र को शिक्षा और अध्यात्म का केंद्र बना दिया।
विदेशी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग ने भी अपने यात्रा विवरणों में बिहार के विहारों और शिक्षण संस्थानों का उल्लेख किया है। धीरे-धीरे इस क्षेत्र को “विहारों की भूमि” कहा जाने लगा। समय के साथ ‘विहार’ शब्द का उच्चारण परिवर्तित होकर ‘बिहार’ बन गया और यही नाम स्थायी रूप से प्रसिद्ध हो गया।
‘बिहार’ नाम केवल एक भौगोलिक पहचान नहीं, बल्कि इसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। यही भूमि है जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया और महावीर ने अपने उपदेश दिए। यहां के विहारों ने शिक्षा और आध्यात्मिकता का ऐसा वातावरण बनाया, जिसने आने वाली पीढ़ियों को भी दिशा दी।
भले ही समय के साथ सब कुछ बदल गया हो, लेकिन ‘बिहार’ नाम आज भी अपनी प्राचीन विरासत को जीवित रखे हुए है। यह नाम भारत की उस ऐतिहासिक भूमि की याद दिलाता है, जिसने दुनिया को ज्ञान, धर्म और संस्कृति की दिशा दिखाई। इस प्रकार ‘विहार’ से ‘बिहार’ बनने की यात्रा भारत की सभ्यता का गौरवशाली अध्याय है।
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