
डिजिटल डेस्क। साल 2025 भारत की सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के लिए एक 'टर्निंग पॉइंट' साबित हुआ है। अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के प्रतिशोध में चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने न केवल पाकिस्तान के भीतर आतंकी ढांचों को नेस्तनाबूद किया, बल्कि दुनिया को भारत की नई तकनीकी मारक क्षमता का परिचय भी दिया। अब रक्षा विशेषज्ञों के बीच चर्चा तेज है कि यदि 2026 में पाकिस्तान के साथ पूर्ण युद्ध (Full-scale War) की स्थिति बनती है, तो भारत का जवाब कैसा होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, 2026 में युद्ध का स्वरूप पारंपरिक न होकर हाइब्रिड और हाई-टेक होगा। 2025 के अनुभवों ने भारतीय रणनीतिकारों को सिखाया है कि अब जंग सीमाओं पर टैंकों के बीच नहीं, बल्कि 'प्रिसिजन स्ट्राइक' और 'ड्रोन वारफेयर' के जरिए जीती जाएगी।
भारत अब 'ड्रोन स्वार्म' (Drone Swarm) तकनीक पर तेजी से काम कर रहा है, जहां सैकड़ों छोटे ड्रोन एक साथ दुश्मन के रडार और बेस को तबाह कर सकते हैं। इसके साथ ही साइबर हमलों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare) के जरिए पाकिस्तान के संचार तंत्र को पंगु बनाने की तैयारी है।
भारत की सैन्य तैयारियों की रीढ़ उसका आर्थिक निवेश है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए रक्षा बजट 6.81 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जो पिछले दशक की तुलना में तीन गुना से भी अधिक है।
मई 2025 में भारतीय सेना ने PoK और पाकिस्तानी सीमा के भीतर 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी सफलता यह थी कि भारत ने दुश्मन के रडार को चकमा देकर सटीक ड्रोन हमले किए। 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (IBGs) का इस्तेमाल कर सकता है, जो छोटी लेकिन बेहद घातक सैन्य टुकड़ियां होती हैं और तेजी से दुश्मन के इलाके में घुसकर हमला करने में सक्षम हैं।
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यदि 2026 में संघर्ष बढ़ता है, तो भारतीय नौसेना अरब सागर में पाकिस्तान की आर्थिक जीवन रेखा (सप्लाई रूट) पर पूर्ण 'नेवल ब्लॉकेड' (Naval Blockade) लगा सकती है। वहीं, पाकिस्तान की परमाणु धमकियों के बीच भारत अपनी 'नो फर्स्ट यूज' (No First Use) नीति पर कायम रहते हुए उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने और सैन्य ठिकानों पर प्रिसिजन हमलों से पंगु बनाने की रणनीति अपनाएगा।
2025 की निर्णायक कार्रवाई और आत्मनिर्भर भारत के तहत बढ़ती सैन्य उत्पादन क्षमता ने भारत को 2026 के लिए एक ऐसी स्थिति में खड़ा कर दिया है, जहां पाकिस्तान के लिए किसी भी हिमाकत का अंजाम 'ऑपरेशन सिंदूर' से भी कहीं अधिक घातक हो सकता है।