मल्टीमीडिया डेस्क। राणोजी सिंधिया ने कभी पेशवा के विश्वस्थ सरदार के रूप में मालवा की कमान संभाली थी, सरदार से वो सिंधिया राजवंश के महाराज बने और बाद के शासकों ने राजशाही का दबदबा दिल्ली दरबार तक बनाया। राजशाही के लोकशाही में बदलने के बाद राजपरिवार ने लोकतंत्र को अपनाया और अपने सियासी सफर को आगे बढ़ाया। राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस राजनीति की शुरूआत की थी। आइये जानते हैं सिंधिया परिवार की सियासत के कुछ खास पहलूओं को।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया
राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी। वह गुना लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुनी गई थी। 10 साल तक राजमाता सिंधिया कांग्रेस में रही और उसके बाद उन्होंने अपनी राह अलग चुन ली। 1967 में उन्होंने जनसंघ का दामन थाम लिया। ग्वालियर और उसके आसपास के इलाके में उन्होंने जनसंघ का जनाधार मजबूत किया। 1971 की इंदिरालहर के बावजूद जनसंघ क्षेत्र से तीन सीटें जीतने में कामयाब रही। उस समय विजयाराजे सिंधिया भिंड से, माधवराव सिंधिया गुना से और अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से चुनकर संसद पहुंचे।
माधवराव सिंधिया
26 साल की उम्र में संसद में कदम रखने वाले माधवराव सिंधिया ने जल्द ही जनसंघ को अलविदा कह दिया। 1977 में आपातकाल के बाद उन्होंने कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया। 1980 में वो कांग्रेस के टिकट पर चुनकर संसद पहुंचे और केंद्रीय मंत्री बने। बीच में नरसिंहराव के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी, लेकिन कुछ साल बाद फिर से कांग्रेस ज्वाइन कर ली। उसके बाद वह दिल्ली दरबार के कद्दावर नेता बन गए। 2001 में एक विमान दुर्घटना में उनका निधन हो गया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की सियासी ताजपोशी हुई। गुना सीट पर हुए उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद चुने गए। 2002 में जीत का जो सिलसिला शुरू हुआ वो लगातार 2019 तक चलता रहा। लेकिन 2019 की मोदी लहर में उनके ही शिष्य कृष्ण पाल सिंह यादव ने उनको मोदी लहर में शिकस्त दे दी। कांग्रेस की सियाासत में उनको राहुल-प्रियंका खेमे का नेता माना जाता रहा।
वसुंधरा राजे सिंधिया
सिंधिया परिवार की दो बेटियां सियासत में बड़ा रसूख रखती है। वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी है और भाजपा की कद्दावर नेता है। वसुंधरा राजे सिंधिया के पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़ संसदीय सीट से सांसद है। वहीं यशोधराराजे सिंधिया मध्य प्रदेश की राजनीति में खास दखल रखती है। यशोधराराजे सिंधिया 1977 में अमेरिका चली गईं थी और 1994 में भारत लौटने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। वो पांच बार विधायक रह चुकी हैं।