
डिजिटल डेस्क। देश की राजधानी दिल्ली इस समय जहरीली हवा की गिरफ्त में है। प्रदूषण नियंत्रण के सरकारी दावे और योजनाएं धरी की धरी रह गई हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि डॉक्टर अब लोगों को सलाह दे रहे हैं कि अगर संभव हो तो कुछ हफ्तों के लिए दिल्ली छोड़ दें और किसी स्वच्छ वातावरण वाली जगह पर रहें।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के करीब 70 प्रतिशत घरों में कम से कम एक व्यक्ति खांसी, जुकाम या बुखार से पीड़ित है। अस्पतालों की ओपीडी में सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या पिछले 15 दिनों में 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। राजधानी इस समय प्रदूषण और मौसमी संक्रमण की दोहरी मार झेल रही है, जिससे न सिर्फ फेफड़े बल्कि दिल और प्रतिरक्षा तंत्र पर भी असर पड़ रहा है।
डॉक्टरों की राय
चिकित्सकों का कहना है कि एयर प्यूरीफायर के बावजूद घरों के अंदर की हवा सुरक्षित नहीं रह पाती। जैसे ही दरवाजा खुलता है, कुछ ही मिनटों में जहरीली धूलकण अंदर तक पहुंच जाती है। साफ हवा से प्रदूषित वातावरण में जाने पर शरीर तुरंत प्रतिक्रिया देता है, जिससे गले में खराश, खांसी, सीने में जकड़न और सांस लेने में दिक्कत शुरू हो जाती है।
एम्स के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. गोपीचंद खिलनानी ने बताया कि वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को नहीं, बल्कि हृदय, दिमाग, किडनी और इम्यून सिस्टम को भी नुकसान पहुंचा रहा है। हृदय रोगियों में ब्लड प्रेशर बढ़ने और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ गया है।
द्वारका मैक्स अस्पताल के डॉ. मनीष गर्ग के अनुसार, दिल्ली में हर तीन में से दो मरीज सांस या संक्रमण से जूझ रहे हैं। उन्होंने सलाह दी है कि जिन्हें पुरानी सांस या दिल की बीमारी है, वे छह से आठ हफ्तों के लिए किसी साफ हवा वाले पहाड़ी इलाके का रुख करें।
लोगों का पहाड़ों की ओर रुख
प्रदूषण से परेशान लोग अब दिल्ली छोड़कर अस्थायी रूप से पहाड़ों की ओर जा रहे हैं। ट्रैवल एजेंसियों के मुताबिक, पिछले दो हफ्तों में पहाड़ी इलाकों की बुकिंग में 35-40% तक इजाफा हुआ है। गंगोत्री ट्रैवल्स के अर्जुन सैनी ने बताया कि लोग हरिद्वार, ऋषिकेश, नैनीताल, मसूरी, टिहरी और धनौल्टी जैसी जगहों की ओर रुख कर रहे हैं। वांडरऑन और थ्रिलोफिलिया एजेंसियों के अनुसार, करीब 6 घंटे की दूरी वाले ट्रैवल बुकिंग में 62% और फ्लाइट बुकिंग में 38% तक की वृद्धि दर्ज की गई है।